नई दिल्ली। हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार, कवि एवं आलोचक दूधनाथ सिंह के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। जनवादी लेखक संघ, जन संस्कृति मंच और प्रगतिशील लेखक संघ ने सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और इसे हिन्दी साहित्य की अपूरणीय क्षति बताया है। सिंह गत 1 वर्ष से कैंसर से पीड़ित थे।
उन्होंने गुरुवार को इलाहाबाद में एक निजी अस्पताल में रात 12 बजकर 10 मिनट पर अंतिम सांस ली। वे 81 वर्ष के थे। उनके परिवार में 2 बेटे एवं 1 बेटी हैं। 2 वर्ष पूर्व उनकी लेखिका पत्नी का निधन हो गया था। सिंह का अंतिम संस्कार आज शुक्रवार को 2 बजे इलाहाबाद में रसूलाबाद घाट पर किया जाएगा।
हिन्दी के प्रख्यात कवि अशोक वाजपेयी, साहित्य अकादमी से सम्मानित लेखक उदय प्रकाश, आलोचक वीरेन्द्र यादव समेत अनेक लेखकों व पत्रकारों ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। सिंह जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष थे और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग में प्रोफेसर भी थे।
जनवादी लेखक संघ के महासचिव मुरली मनोहर प्रसाद सिंह ने अपने शोक संदेश में कहा कि दूधनाथ सिंह ने साहित्य की सभी विधाओं में लेखन किया। उन्होंने कहानियों, उपन्यास, कविता, आलोचना और नाटक में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 'आखिरी कलाम' उपन्यास के लिए वे याद किए जाएंगे।
जन संस्कृति मंच के रामजी राय ने भी सिंह के निधन पर सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी है। प्रगतिशील लेखक संघ के वीरेन्द्र यादव ने कहा कि सिंह अपने महत्वपूर्ण उपन्यास आखिरी कलाम के अलावा सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' तथा महादेवी वर्मा पर अपनी आलोचनात्मक पुस्तक के लिए याद किए जाएंगे।
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने कहा कि वे उनके छात्र रहे हैं और उन्होंने एक गुरु खो दिया। उन्होंने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत क्षति है। वे हिन्दी के प्रतिबद्ध लेखक थे। (वार्ता)