अजमेर पोएट्स कलेक्टिव का एक छोटा-सा सफर, जो पांच लोगों ने देश की ऐतिहासिक नगरी अजमेर से शुरू किया, कब एक कारवां बन गया, पता नहीं चला। बस अजमेर पोएट्स कलेक्टिव से लोगों का जुड़ाव होता गया। तब हम फेसबुक जैसे मंच पर आए और हम पांच से पचास होकर आगे बढ़ते रहे। काव्य गोष्ठियां और कवि सम्मलेन करवाते हुए कारवां जारी है। आप सबके प्यार और सहयोग से इसे बढ़ा रहे हैं साझा काव्य संग्रह "गुंचे" के द्वारा।
अजमेर पोएट्स कलेक्टिव की शिवानी शर्मा ने बताया कि हमारी संस्था का उद्देश्य कविता एवं साहित्य के क्षेत्र में नई युवा पीढ़ी को काव्य गोष्ठियां और कवि सम्मेलन के कार्यक्रमो में वरिष्ठ साहित्यकारों एवं कवियों के अनुभवों से युवा पीढ़ी को जागरूक कर अपनी काव्यात्मक शैली में दोहों, शेर आदि के उदहारण से प्रशिक्षित एवं प्रेरित करना तथा समय-समय पर इस तरह के आयोजन कर साहित्य के क्षेत्र में देश, विदेश में छुपी प्रतिभाओं को सामने लाना हैं। साझा काव्य संग्रह "गुंचे" इसी कड़ी का एक हिस्सा है।