‘हिंदी’ के सबसे बड़े लेखक मुंशी प्रेमचंद ने ‘उर्दू’ से की थी लिखने की शुरुआत

(31 जुलाई मुंशी प्रेमचंद जन्‍मदिवस पर विशेष )

हिंदी साहित्‍य में मुंशी प्रेमचंद का सबसे बड़ा नाम माना जाता है, वे ऐसे कहानीकार और साहित्‍यकार थे, जिसे सबसे ज्‍यादा पढ़ा जाता रहा है। उनके सबसे ज्‍यादा पाठक आम लोग रहे हैं, क्‍योंकि उनकी कहानि‍यां आम जीवन और सरोकार से जुड़ी होती थी।

आज भी देशभर के तमाम रेलवे स्‍टेशनों के बुक स्‍टॉल्‍स पर सबसे सबसे ज्‍यादा मुंशी प्रेमचंद की किताबें रखी नजर आ जाएगीं। हिंदी लेखन के लिए प्रसिद्ध हुए मुंशी जी के बारे में शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्‍होंने अपने लिखने की शुरुआत उर्दू से की थी।

31 जुलाई को प्रेमचंद की जयंती है। आइए जानते  आम आदमी के इस सबसे बड़े लेखक के बारे में।

प्रेमचंद का असल नाम धनपत राय  था, बाद में वे मुंशी प्रेमचंद के नाम से जाने गए। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 में वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में हुआ था। मुंशी प्रेमचंद ने साल 1936 में अपना अंतिम उपन्यास गोदान लिखा। जो काफी चर्चित रहा।

जानकार हैरानी होगी कि प्रेमचंद हिंदी के लेखक थे, इसी भाषा में वे प्रख्‍यात हुए, लेकिन उन्‍होंने हिंदी से पहले उर्दू में लिखने की शुरुआत की थी। अपना पहला साहित्यिक काम गोरखपुर से उर्दू में शुरू किया था। इस भाषा में सोज-ए-वतन उनकी पहली रचना थी।

जब मुंशी प्रेमचंद सिर्फ 8 साल के थे, तब बीमारी के कारण उनकी मां का देहांत हो गया। उनका विवाह भी बहुत कम सिर्फ15 साल की उम्र में हो गया था, लेकिन कुछ ही समय में उनकी पत्नी की भी मृत्‍यु हो गई थी।

बाद में उन्होंने एक बाल विधवा शिवरानी देवी से विवाह किया था, जिन्होंने बाद में प्रेमचंद की जीवनी लिखी थी।
जिस रावत पाठशाला में उन्‍होंने प्राथमिक शिक्षा ली थी, वहीं पर उन्‍होंने शिक्षक के रूप में पहली नौकरी की। उसी दौरान वह बालेमियां मैदान में महात्‍मा गांधी का भाषण सुनने गए। गांधी से इतने प्रभावित हुए कि उन्‍होंने अंग्रेजी हुकूमत में सरकारी नौकरी से त्‍यागपत्र दे दिया और स्‍वतंत्र लेखन करने लगे।

मुंशी प्रेमचंद की कहानियों एवं उपन्यास
मंत्र, नशा, शतरंज के खिलाड़ी, पूस की रात, आत्माराम, बूढ़ी काकी, बड़े भाईसाहब, बड़े घर की बेटी, कफन, उधार की घड़ी, नमक का दरोगा, जुर्माना आदि उनकी बहुत प्रसिद्ध कहानियां हैं, जबकि गबन, बाजार-ए-हुस्न (उर्दू में), सेवा सदन, गोदान, कर्मभूमि, कायाकल्प, मनोरमा, निर्मला, प्रतिज्ञा प्रेमाश्रम, रंगभूमि, वरदान, प्रेमा आदि उनके उपन्यास हैं।

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