कब है Rabindranath Tagore की जयंती? क्या है सही 7 मई या 9 मई?

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'इस दुनिया में जीने का तभी फायदा है जब आप इससे प्रेम करते हों' ये पंक्तियां देश के महान साहित्यकारों में से एक रबीन्द्रनाथ टैगोर की हैं, जो न सिर्फ एक बेहतरीन साहित्यकार थे बल्कि एक महान कवि, नाटककार, संगीतकार, समाज सुधारक और चित्रकार भी थे। साथ ही साहित्य के क्षेत्र में उन्हें उनकी किताब गीतांजलि के लिए 1913 में नोबल प्राइज (Nobel Prize) से नवाज़ा गया था और इस पुरस्कार को जीतने वाले वह पहले भारतीय थे। 
 
आपको बता दें कि रबीन्द्रनाथ टैगोर दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने दो देश के लिए राष्ट्रीय गाना लिखा है; भारत और बांग्लादेश। इनके महान काम को याद करने के लिए एवं सम्मान देने के लिए हर साल रबीन्द्रनाथ टैगोर जयंती मनाई जाती है। पर अक्सर लोग इनकी जन्म तारीख को लेकर काफी कंफ्यूज होते हैं तो चलिए जानते हैं कि कब है रबीन्द्रनाथ टैगोर जयंती.......
 
कब है रबीन्द्रनाथ टैगोर जयंती? Rabindranath Tagore Jayanti
 
रबीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती को लेकर काफी लोग कंफ्यूज होते हैं, कुछ इस जयंती को 7 मई (Rabindranath Tagore Jayanti date) को मनाते हैं और कुछ इस जयंती को आज यानी 9 मई को मना रहे हैं। दरअसल ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार इनका जन्म 7 मई 1861 में हुआ था, पर बंगाली कैलेंडर के अनुसार इनका जन्म बंगाली बोइशाख महीने के 25वें दिन हुआ था और ये दिन आज 9 मई को है। इस साल देश उनकी 162वीं सालगिरह मनाने जा रहा हैं।
 
रबीन्द्रनाथ टैगोर के मशहूर कथन : Rabindranath tagore quotes  
 
1. मित्रता की गहराई परिचय की लंबाई पर निर्भर नहीं करती।
 
2. प्रत्येक शिशु यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्य से निराश नहीं हुआ है।
 
3. आस्था वो पक्षी है जो भोर के अंधेरे में भी उजाले को महसूस करती है।
 
4. यदि आप सभी गलियों के लिए दरवाज़ा बंद कर देंगे, तो सच बाहर रह जाएगा।
 
5. जो कुछ हमारा है वो हम तक तभी पहुंचता है, जब हम उसे ग्रहण करने की क्षमता विकसित करते हैं। 
 
6. संगीत दो आत्माओं के बीच के अंतर को भरता है।
 
7. चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलता है, परंतु अपना कलंक अपने पास ही रखता है।
 
8. हम महानता के सबसे करीब तब आते है, जब हम विनम्रता में महान होते हैं।
 
9. सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप समंदर पार नहीं कर सकते।
 
10. फूल एकत्रित करने के लिए ठहर मत जाओ, आगे बढ़े चलो, तुम्हारे पथ पर फूल निरंतर खिलते रहेंगे।

Ravindranath Tagore

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