वामा साहित्य मंच ने मनाया मातृ दिवस, कविताओं और लघुकथा में बताई मां की महिमा
मां....एक शब्द जिसमें खुशियां लहराई, एक शब्द जिसमें सारी दुनिया समाई... मई माह के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता है....शहर की साहित्यिक संस्था वामा साहित्य मंच ने एक विशेष सोच के साथ यह दिवस 7 मई को पूर्व में मनाया है कि जब मातृ दिवस रहे तब सब अपनी मां के साथ, मां के पास रहे... व्यस्तताओं के आलम में कम से कम उस दिन के हर पल पर मां का अधिकार रहे....
''एक शाम, मां तुम्हारे नाम'' की थीम पर मनाए गए इस भावनात्मक आयोजन में लगभग 40 प्रबुद्ध रचनाकारों ने मां की महिमा पर कलम चलाई और एक से बढ़कर एक कविता व लघुकथा सुनाई...
इस आयोजन की एक और खास बात यह रही कि अतिथि के स्थान पर वामा साहित्य मंच की वरिष्ठ सद्स्य मातृतुल्य वात्सल्यमूर्ति डॉ. शारदा मंडलोई को ही अतिथि का सम्मान दिया गया...
आरंभ में शारदा जी का स्वागत संस्थापक अध्यक्ष पद्मा राजेंद्र और जानी मानी साहित्यकार चेतना भाटी ने किया.. मंचासीन वर्तमान अध्यक्ष इंदु पाराशर, सचिव शोभा प्रजापति,संयोजक ज्योति जैन द्वारा भी अभिनंदन किया गया...
होटल अपना एवेन्यू में संपन्न इस कार्यक्रम में मां पर भावभीनी रचनाएं प्रस्तुत की गई....कई रचनाओं ने स्तब्ध कर दिया और कुछ शब्दों ने पलकों की कोर भीगो दी...कभी मां की भोली बातों ने चेहरे पर मुस्कान सजा दी तो कभी भावों की अंजुरी ने आज के दौर की कालिमा मिटा दी....मां, बाई, आई, अम्मा, अम्मी,मदर हो या आज की मॉम....रंग रूप और तेवर बदले हैं लेकिन भावनाओं का आकाश वही है, संबंधों की धरा वही है... रिश्तों की बयार वही है, ममता का त्योहार वही है...
स्वागत भाषण अध्यक्ष इंदु पाराशर ने दिया...
समाज सेविका डॉ. शारदा मंडलोई ने अपने उद्बोधन में कहा कि मां के साथ अपनी अनुभूति की परिभाषा मुश्किल है माँ का होना हमें समृद्ध करता है और माँ की नसीहत परिष्कृत.... मां हर विषम हालात में मुस्कुराती है यह सिर्फ मां ही कर सकती है क्योंकि ईश्वर ने मां को कई विलक्षण गुणों से नवाजा है।
कार्यक्रम की संयोजक ज्योति जैन के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने पूरी जिम्मेदारी निभाई...संचालन का दायित्व निभाया स्मृति आदित्य ने, सरस्वती वंदना प्रस्तुत की डॉ. गरिमा संजय दुबे ने और आभार माना अनिता शर्मा ने...