वर्ष 2019 में सोशल मीडिया पर छाई रहीं ये 10 कविताएं

नवीन रांगियाल
यह सोशल मीडिया और व्‍हाट्सएप्‍प का दौर है। सारी सूचनाएं इसी माध्‍यम से आ-जा रही हैं। लेकिन अब शेर-शायरी और कविताओं को भी इसी प्‍लेटफॉर्म लोकप्रियता मिल रही है। कोई शेर हुआ, वीडियो हुआ या कोई कविता। व्‍हाट्सएप्‍प पर वायरल होती हैं और फिर पॉपुलर हो जाती है। इस साल सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी ही कविताएं जमकर वायरल हुईं और उन्‍हें खूब सराहा गया। जानते हैं ऐसी ही 10 कविताओं के बारे में जिन्‍हें इस साल जमकर पसंद किया गया। 

शायर मुनीर नियाजी की यह कविता टेक्‍स्‍ट और वीडियो में खूब लोकप्रिय हुई।
 
हमेशा देर कर देता हूं
हमेशा देर कर देता हूं मैं हर काम करने में
ज़रूरी बात कहनी हो, कोई वा'दा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो, उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं
मदद करनी हो उस की यार की ढांढस बंधाना हो
बहुत देरीना रस्तों पर किसी से मिलने जाना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं
बदलते मौसमों की सैर में दिल को लगाना हो
किसी को याद रखना हो, किसी को भूल जाना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं
किसी को मौत से पहले किसी ग़म से बचाना हो
हक़ीक़त और थी कुछ उस को जा के ये बताना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं हर काम करने में.....

 
कवि: बद्री नारायण की प्रेम कविता ‘प्रेत आएगा’ भी खूब वायरल हुई।
किताब से निकाल ले जाएगा प्रेमपत्र
गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खाएगा
जुआरी प्रेमपत्र ही दांव लगाएगा
ऋषि आएंगे तो दान में मांगेंगे प्रेमपत्र
बारिश आएगी तो प्रेमपत्र ही गलाएगी
आग आएगी तो जलाएगी प्रेमपत्र
बंदिशें प्रेमपत्र ही लगाई जाएंगी
सांप आएगा तो डसेगा प्रेमपत्र
झींगुर आएंगे तो चाटेंगे प्रेमपत्र
कीड़े प्रेमपत्र ही काटेंगे
प्रलय के दिनों में सप्तर्षि मछली और मनु
सब वेद बचाएंगे
कोई नहीं बचाएगा प्रेमपत्र
कोई रोम बचाएगा कोई मदीना
कोई चांदी बचाएगा कोई सोना
मै निपट अकेला कैसे बचाऊंगा तुम्हारा प्रेमपत्र


शायर फैज अहमद फैज की यह पुरानी शायरी एक बार फिर से लोगों की जुबां पर आई।
वो लोग बहुत खुशकिस्‍मत थे
जो इश्‍क को काम समझते थे
या काम से आशिकी रखते थे
हम जीते जी नाकाम रहे
ना इश्‍क किया ना काम किया
काम इश्‍क में आड़े आता रहा
और इश्‍क से काम उलझता रहा
फिर आखिर तंग आकर हमने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया


लोकप्रिय कवि केदारनाथ सिंह की छोटी कविता ‘हाथ’ को भी लोगों ने खूब वायरल किया।
उसका हाथ
अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा
दुनिया को
हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए।

 
गुलजार यूं तो सदाबहार हैं, लेकिन इस साल उनकी यह कविता पॉपुलर हुई।
गुलों को सुनना ज़रा तुम सदाएं भेजी हैं
गुलों के हाथ बहुत सी दुआएं भेजी हैं
जो आफ़्ताब कभी भी ग़ुरूब होता नहीं
हमारा दिल है उसी की शुआएं भेजी हैं
अगर जलाए तुम्हें भी शिफ़ा मिले शायद
इक ऐसे दर्द की तुम को शुआएं भेजी हैं
तुम्हारी ख़ुश्क सी आंखें भली नहीं लगतीं
वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएं, भेजी हैं
सियाह रंग चमकती हुई कनारी है
पहन लो अच्छी लगेंगी घटाएं भेजी हैं
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
सज़ाएं भेज दो हम ने ख़ताएं भेजी हैं
अकेला पत्ता हवा में बहुत बुलंद उड़ा
ज़मीं से पांव उठाओ हवाएं भेजी हैं
 

कुमार विश्‍वास की यह कविता सबसे ज्‍यादा लोगों की जुबां पर रही।
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूं , तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहां सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है
समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता
यह आंसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता
भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा

अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद सबसे ज्‍यादा वायरल होने वाली कविता
मौत से ठन गई
ठन गई! मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था, रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई। मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं। मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं? तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर। बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं। प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला। हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए। आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है। पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई। मौत से ठन गई।  

स्‍मृति ईरानी की कविता
इस साल 6 जुलाई को 11 बजकर 51 मिनट स्‍मृति ईरानी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में एक कविता यह कहते हुए शेयर की कि- कौन कहता है फ़्लाइट पर लिखना लाज़मी नहीं। अभी अभी ताज़ा ताज़ा मेरी क़लम से.. बाद में यह वायरल हुई।
 
मुद्दतों से है तलाश उसकी, लोग कहते जिसे इश्क़ है,
साया सहला के गया कुछ पल उसका, एहसासों की गिरफ़्त में आज भी दिल है।
 
लोग कहते हैं हर किसी को मिल जाए सुकून ये मुमकिन नहीं,
हमसे पूछो इश्क़ सुकून दे ये सोच ही नादान है।
 
ख़ुश फहमी देता है इश्क़ की हर मोड़ पर मिलेगा हमसफ़र तुम्हें चाहते हुए,
ये नहीं बताता कमज़र्फ की वो मोड़ जिस पे हमसफ़र हो मेरे रास्तों में आता नहीं।
 
आँसू है साथी उसके, दिल का टूट जाना सबूत,
कमबख़्त ये नहीं बताता कि जिसपे दिल आया उसे ख़ुद नागवार इश्क़ है ।
 
लोग कहते हैं इश्क़ जुनून है, दिल का लगना लगाना मजबूरी,
शायद इसलिए मुझ में और इश्क़ में रह गई इक दूरी।

 
गौरव सोलंकी की यह कविता अंतरराष्‍ट्रीय पुरुष दिवस के दिन आयुष्‍मान खुराना की आवाज में काफी वायरल हुई 
जेंटलमैन किसे कहते हैं
मर्द का स्‍टिरियोटापइ हैं, बड़ी माचो वाली हाइट है
वो घर चलाएगा, वो लड़की को बचाएगा, वो रोएगा नहीं, वीक नहीं होगा
मुझे लगा साला ये तो कुछ ठीक नहीं होगा
मुझे न हीरो न सेवियर न सुपरमैन बनना था
जो रो सके, जो गा सके, किसी को बचा पाए तो बचा सके ऐसा मैन बनना था
मैं हिन्‍दी में सेंटी होता हूं, पंजाबी में गाता हूं
टाई बांधना मुझे नहीं आता पर खाना ठीक ठाक बनाता हूं
तुम्‍हारी इंग्‍लिश स्‍लो है, फास्‍ट है मुझे फर्क नहीं पड़ता
तुम गे हो, स्‍ट्रैट हो, तुम्‍हारी कास्‍ट से मुझे फर्क नहीं पड़ता
आई नो देट द एज हैव टोल्‍ड यू टू प्‍ले कूल
एंड फादर आस्‍क्‍ड यू टू बी एज डिसिप्‍लन्‍ड एज इफ यू बी ऑल्‍वेज इन स्‍कूल
उन्‍होंने बोला जेंटलमैन बनो, बट ये नहीं बोला कि मैन का जेंटल होना खराब है
क्‍योंकि तुम्‍हें तो ऑनर बचाना है, जादू वाला परफ्यूम लगाना है
उसी से लड़कियां तुम पर मरेगीं, पर मरेंगी क्‍यों
उन्‍हें मरना नहीं चाहिए
मैं जहां हूं जहां खड़ा हूं उन्‍हें डरना नहीं चाहिए
पिंक और पिंकफ्लॉयड के बीच में वो कुछ भी पसंद कर सकता है
अंधेरा ज्‍यादा हो तो वो भी डर सकता है
क्‍योंकि वायलेंस उसके साथ भी हुआ है, पैट्रियाकी ने उसे भी गलत तरीके से छुआ है
वो जल्‍दी बड़ा होने के बोझ के नीचे बड़ा होता है, दिल उसका भी तीन सौ ग्राम का ही होता है
पर उस पर लौहे का सोशल कवर चढा होता है
उसे बस कार और गन के खिलौनों में मत बांधों
जब वो बच्‍चा हो तो जरुरी नहीं कि ड्राइवर अच्‍छा हो
हो सकता है कि मशीनों के काम में थोड़ा कच्‍चा हो
पर मर्द होने की इकलौती शर्त यही है सच्‍चा हो
अब जरुरी नहीं कि मैरा पैशन गिटार हो
कूल हो, मेरे हाथ में लड़की के लिए फूल हो
हो सकता है कि मेरे पास लंबी गाड़ी हो
हो सकता है कि लाइफ की हर एक राइड पूल हो
थोड़ा पता है बच्‍चों को मैं भी संभालता हूं
वो थक कर आती है तो जींजर वाली चाय भी उबालता हूं
लड़का और लड़की में फर्क बहुत है और ये फर्क बहुत खूबसूरत है
ये मैं जानता हूं
पर फर्क करने को सबसे बड़ा गुनाह मानता हूं
शायद इसिलए अपने बेटे से कहता हूं कि उनके लिए कुर्सी ही खींचना है
गाड़ी का दरवाजा खोलना है
पर जब कुछ गलत है तो सबसे पहले बोलना है
क्‍योंकि सिक्‍स पैक से नहीं बनते हैं मर्द
न ज्‍यादा कमाने से बनते हैं
न चिल्‍लाने से न आंसू छुपाने से बनते हैं
किसी और को ठंड लगती है तो दिल उसका भी सर्द होता है
कि जिसको दर्द होता है वही असल में मर्द होता है।
 
  
 

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