जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में 'अख़्तरी : सोज़ और साज़ का अफ़साना' का लोकार्पण, तेजी ग्रोवर को मिला 'डिस्टिंग्विश्ड ट्रांसलेटर अवॉर्ड'

- अदिति माहेश्वरी-गोयल

ज़ी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हिन्दी के कवि, संपादक और संगीत अध्येता यतीन्द्र मिश्र द्वारा संपादित बेग़म अख़्तर, अख़्तरीबाई के जीवन और संगीत पर आधारित पुस्तक 'अख़्तरी : सोज़ और साज़ का अफ़साना' का लोकार्पण किया गया है। यह किताब अख़्तरीबाई फैज़ाबादी की 105वीं जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में संपादित और प्रकाशित की गई है।

 
कार्यक्रम की शुरुआत वाणी प्रकाशन की प्रबंध निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने सभी अतिथियों को मंच पर बुलाते हुए 'अख़्तरी : सोज़ और साज़ का अफ़साना' पुस्तक का लोकार्पण किया। लोकार्पण व परिचर्चा में शास्त्रीय गायिका विद्या शाह, कला विशेषज्ञ अलका पांडेय, वाणी त्रिपाठी टिक्कू, पूर्व राज्यसभा सदस्य व लेखक पवन के. वर्मा और वाणी प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी का सान्निध्य रहा।
 
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इसके साथ ही चौथा 'वाणी फाउंडेशन डिस्टिंग्विश्ड ट्रांसलेटर अवॉर्ड' तेजी ग्रोवर को मिला। 
 
वाणी फाउंडेशन द्वारा दिए जाने वाले 'डिस्टिंग्विश्ड ट्रांसलेटर अवॉर्ड' वर्ष 2019 के लिए प्रतिष्ठित अनुवादक, लेखक, पर्यावरण संरक्षक तेजी ग्रोवर को चुना गया। तेजी ग्रोवर को यह सम्मान ज़ी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के प्रकाशन अंग जयपुर बुक मार्क में प्रदान किया गया। तेजी ग्रोवर, जिन्होंने नॉर्वेजियाई साहित्य को भारतीय भाषाओं में अनुवादित करने का महत्वपूर्ण काम किया है, को यह पुरस्कार नॉर्वेजियाई एम्बेसेडर महामहिम : नेल्स रेग्नार कामस्वेग के हाथों से मिला।

 
निर्णायक मंडल के संदीप भुटोरिया, नीता गुप्ता, नमिता गोखले, संजोय रॉय एवं वाणी प्रकाशन के महानिदेशक अरुण माहेश्वरी ने सम्मान राशि के रूप में 1 लाख रुपए का चेक प्रदान किया।
 
पुरस्कार प्राप्त करने के बाद तेजी ग्रोवर ने कहा कि अनुवादक मूल रचना में जाकर वो मोती निकाल लाता है, जो अनुवाद की भाषा में भी उसका सौन्दर्य नहीं खोने देता। इस लिहाज़ से अनुवादित रचना उतनी ही अनुवादक की है जितनी लेखक की। वाणी फाउंडेशन गत 4 सालों से जयपुर साहित्य उत्सव में यह पुरस्कार प्रदान करता आ रहा है। इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य अनुवाद के उस कार्य को सराहना है जिसे प्राय: अपनी महत्ता जितना श्रेय नहीं मिलता।

 
वाणी प्रकाशन 56 वर्षों से 32 विधाओं से भी अधिक में बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। इसने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। देश के हज़ारों गांवों, 600 कस्बों, 54 मुख्य नगरों और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर्स में उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। वाणी प्रकाशन भारत के प्रमुख पुस्तकालय प्रणालियों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य-पूर्व से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन की सूची में साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 32 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं।
 
 
संस्था को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, इंडोनेशियन लिटरेरी क्लब और रसियन सेंटर ऑफ़ आर्ट कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो-स्वीडिश, रशियन और पोलिश लिटरेरी सांस्कृतिक विनिमय विकसित करने का गौरव प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ने 2008 में भारतीय प्रकाशकों के संघ द्वारा प्रतिष्ठित 'गणमान्य प्रकाशक पुरस्कार' भी प्राप्त किया है। 51वीं वर्षगांठ के मौक़े पर 'न हानि, न लाभ' के पक्ष में वाणी फ़ाउंडेशन की नींव रखी।

 
लंदन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को 'वातायन सम्मान' तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन के प्रबंध निदेशक व वाणी फ़ाउंडेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में 'एक्सीलेंस इन बिज़नेस' सम्मान से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन 2 पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।

 
2014 में केंद्रीय साहित्य अकादेमी में चयनित सदस्यों द्वारा 3 मई 2017 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में '64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह' में भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा 'स्वर्ण कमल 2016' पुरस्कार प्रकाशक वाणी प्रकाशन को प्रदान किया गया।
 
भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने राजधानी के प्रमुख पुस्तक केंद्र ऑक्सफोर्ड बुक स्टोर के साथ सहयोग कर 'लेखक से मिलिए' में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम श्रृंखला का आयोजन किया और वर्ष 2014 से 'हिन्दी महोत्सव' का आयोजन संपन्न करता आ रहा है।

 
साभार- वाणी प्रकाशन

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