अंतरराष्ट्रीय साहित्य, कला महोत्सव 'विश्वरंग' में दिखाई देंगे उत्सवी आकांक्षा के रंग

स्वरांगी साने
पुस्तक यात्रा, साहित्य चर्चा, कला महोत्सव, चित्रकला, आदिवासी साहित्य, जनजातीय भाषाएं, कला प्रदर्शनी, भारतीय ऋषि वैज्ञानिक, लुप्तप्राय भाषाएं, प्रस्तर कला ....एक ही जगह यह सब देखने का सुअवसर देने जा रहा है भारतीय संस्कृति का वैश्विक मंच- विश्व रंग। 
 
रवींद्र भवन, रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल की पहल पर टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र तथा वनमाली सृजन पीठ के मुख्य संयोजन में परिकल्पित इस अंतरराष्ट्रीय साहित्य तथा कला महोत्सव में भारत सहित दुनिया के पैंतीस देशों के एक हजार से अधिक प्रतिनिधि हस्ताक्षर शिरकत करेंगे, एक लाख से अधिक प्रतिभागी, तीन लाख से अधिक सब्सक्राइबर, 18 मिलियन से अधिक व्यूज इन लगभग नब्बे सत्रों के आसपास संयोजित इस विश्व कुंभ साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, सिनेमा, पत्रकारिता, पर्यावरण सहित अनेक विषयों के अनूठे मंच से जुड़ेंगे। 
 
रवींद्र भवन, रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय परिसर एवं कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, भोपाल में 14-20 नवंबर 2022 तक यह टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव उन सरोकारों से जुड़ने की मंशा से होगा जो अभिव्यक्ति के विभिन्न माध्यमों के मानवीय जीवन और जगत का बहुरंगी फलक रचते रहे हैं। साहित्य, संस्कृति और कलाओं की सृजनशील दुनिया को अपने समय में देखने-परखने और उसके प्रति रुचि, जिज्ञासा और उत्साह का नया परिवेश रचने की उत्सवी आकांक्षा है- विश्वरंग। 
 
एक तरह से इसका शुभारंभ साहित्य अकादमी, दिल्ली में 11 नवंबर को लोकेश आनंद एवं साथियों के शहनाई वादन से होने जा रहा है। इसकी अध्यक्षता रवींद्रनाथ टैगोर विवि के कुलाधिपति संतोष चौबे करेंगे। स्वागत वक्तव्य लीलाधर मंडलोई देंगे, मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के उपाध्यक्ष माधव कौशिक होंगे। 
 
दोपहर को ‘अनुवाद कैसे करें’ पर संगोष्ठी का आयोजन होगा तथा उसके बाद विश्व कविता प्रस्तुति होगी, जिसकी अध्यक्षता नासिरा शर्मा करेंगी। भारतीय कविता गोष्ठी के अध्यक्ष बाल स्वरूप राही होंगे। जबकि मुख्य आयोजन 14 नवंबर को रवींद्रनाथ टैगोर विवि एवं रवींद्र भवन में होगा। इस दिन रवींद्र संगीत से प्रातःकालीन मेजबानी होगी तथा शाम को रवींद्र भवन में कौशिकी चक्रवर्ती का शास्त्रीय गायन होगा। 
 
अगली सुबह इसी भवन में अन्नपूर्णा देवी के संस्मरण सुने जा सकेंगे एवं दोपहर में ‘संगीत का धर्म’ पर उमाकांत गुंदेचा की अध्यक्षता में संवाद होगा। उक्त दोनों आयोजनों का संचालन विनय उपाध्याय करेंगे। शाम को श्रीराम भारतीय कला केंद्र द्वारा रामायण की प्रस्तुति होगी। ‘कला समीक्षा की चुनौतियों’ पर रवींद्र त्रिपाठी की अध्यक्षता में 16 नवंबर के सुबह के सत्र में यहीं पर चर्चा होगी। 
 
‘संगतकारों की अलक्षित भूमिका’ पर शमा भाटे की अध्यक्षता में दोपहर को तथा धन्नूलाल सिन्हा के साथ ‘पूर्व रंग’ का आनंद शाम को लिए जा सकेगा। पूर्वा नरेश निर्देशित नाटक ‘बंदिश’ इस दिन शाम को होगा। कलाकारों द्वारा विश्व शांति एवं सद्भाव यात्रा 17 नवंबर को सुबह 11 बजे निकलेगी। शाम को नेशनल पेंटिंग एक्जीबिशन का उद्घाटन एवं मोनोग्राफ़ रिलीज होगा। इसी शाम पुस्तक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन होगा एवं विश्व रंग का औपचारिक उद्घाटन मध्यप्रदेश के राज्यपाल माननीय मंगूभाई पटेल एवं राज्य मंत्री (शिक्षा) सुभाष सरकार के मुख्य आतिथ्य में होगा। 
 
संतोष संत द्वारा निर्देशित सामूहिक बांसुरी वादन से 18 नवंबर की सुबह गूंजेगी। उसके बाद लगातार वैचारिक सत्र आयोजित होंगे। अनूठी बात यह भी होगी कि पांच सभागारों एवं प्रांगण में समानांतर सत्र आयोजित होंगे। प्रेमचंद हॉल में विश्व कविता होगी, तो निराला सभागार में भारतीय स्त्री लेखन विश्व दृष्टि पर चर्चा, कथेत्तर गद्य तथा चित्रकला पर वनमाली सभागार में तथा लेखक से मिलिए एवं अनुवाद का अंतःराग महादेवी सभागार तथा टैगोर परिसर में होगा। जानकी बैंड और दोआब का कविता पाठ भी इसी दिन होगा। 
 
दूसरी सुबह हिंदी कविताओं के ध्रुपद गान से गूंजेगी। युद्ध एवं निर्वासन पर चर्चा होगी। क्षेत्रीय सिनेमा और कहानियां-किस्सा गोई, पॉड कास्टिंग भी चर्चा के विषय होंगे। समांतर सत्रों में पौराणिक कथाएं, सृजनात्मक इतिहास लेखन, लोक आस्था, प्रवासी साहित्य और लेखक से मिलिए के आयोजन होंगे, तथा चटखारों की चौपाल, विश्व सद्भाव, कहानियों के केंद्र में मध्य वर्ग, पोएट्रीथेरेपी जैसे अनूठे विषयों पर चर्चा होगी। ग्रामीण भारत की उभरती प्रतिभा से लेकर उभरते उद्यमियों तक और स्त्री लेखन भी सुने जा सकेंगे। शाम को गणगौर नृत्य की संजय महाजन प्रस्तुति देंगे। मैथली ठाकुर का गायन होगा।
 
 
समापन सत्र का मंगलाचरण से प्रारंभ होगा। व्यापार के बदलते रूप और मातृभाषा का प्रभाव पर रोचक चर्चा होगी। शिक्षा एवं रंगमंच पर चर्चा के बाद भारत का उभरता नया सिनेमा पर चर्चा होगी। समानंतर सत्रों में कविता का समकाल, कहानी का समकाल, जनजातीय साहित्य, समकालीन कविता में प्रेम और करुणा संवाद और पाठ, पांच व्यंग्यकार, वेब सीरीज, बहुभाषी युवा कविता, पौराणिक कथाएं, दिव्यांग कवियों का कविता पाठ समापन सत्र छत्तीसगढ़ के राज्यपाल माननीय डॉ. अनुसूइया उइके के मुख्य आतिथ्य में होगा। सांस्कृतिक सत्र में भगोरिया और बैगा जनजातीय नृत्य तथा शिल्पा राव के गायन से यह समां थमेगा...। 

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख