बचपन, जिंदगी का बहुत खूबसूरत सफर होता है। बचपन में न कोई चिंता होती है, ना कोई फिक्र होती है, एक निश्चिंत जीवन का भरपूर आनंद लेना ही बचपन होता है। लेकिन कुछ बच्चों के बचपन में लाचारी और गरीबी की नजर लग जाती है। जिस कारण से उन्हें बाल श्रम जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है। बाल श्रम वर्तमान समय में बच्चों की मासूमियत के बीच अभिशाप बनकर सामने आता है।
क्या है ? बाल श्रम
बाल श्रम, भारतीय संविधान के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कारखाने, दुकान, रेस्तरां, होटल, कोयला खदान, पटाखे के कारखाने आदि जगहों पर कार्य करवाना बाल श्रम है। बाल श्रम में बच्चों का शोषण भी शामिल होता है, शोषण से आशय, बच्चों से ऐसे कार्य करवाना, जिनके लिए वे मानसिक एवं शारीरिक रूप से तैयार न हों।
भारत के संविधान में मूल अधिकारों के अनुच्छेद 24 के अंतर्गत भारत में बाल श्रम प्रतिबंधित है। बाल श्रम का मुख्य कारण गरीब बच्चों के माता-पिता का लालच, असंतोष होता है। लालची माता-पिता अपने एशो-आराम के लिए बच्चों से मजदूरी कराते हैं। जिससे बच्चें न ही स्कूल जा पाते हैं और न ही ज्ञान प्राप्त कर पाते हैं।
वर्तमान समय में संपूर्ण विश्व में 215 मिलियन बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं। 1991 की जनगणना में बाल मजदूरों के सर्वेक्षण के अनुसार 11.3 मिलियन बच्चे बाल मजदूरी का रहे थे। इसके बाद 2001 की जनगणना में इनकी संख्या 12.7 मिलियन हो गई थी।
मध्य प्रदेश में बाल मजदूरी के आकड़ों की बात करें तो, मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि मध्य प्रदेश में मात्र 94 बाल श्रमिक है। जबकि 1997 के बाद से मध्य प्रदेश सरकार ने बाल श्रमिकों का सर्वेक्षण ही नहीं कराया है।
बाल श्रम के दुष्प्रभाव -
1 बच्चों के विकास में बाधक - बाल श्रम का सबसे ज्यादा असर बच्चों के विकास पर होता है, बाल मजदुरी से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। जिस उम्र में बच्चों को खेल-कूद कर, शिक्षा लेकर अपना विकास करन चाहिए, उस उम्र में उन्हें मजदूरी करना पड़ती है।
2 बाल श्रमिकों का शोषण - बाल मजदूरों का उनके मालिक द्वारा ज्यादा शोषण किया जाता है। बाल मजदूर कम मजदूरी लेकर ज्यादा काम करने के लिए राजी हो जाते हैं एवं उनसे मनचाहा काम करा लिया जाता है।
3 शिक्षा का अभाव - गरीबी के कारण बच्चे बाल मजदूरी करने पर मजबूर हो जाते हैं और उनके जीवन में शिक्षा का अभाव बना रहता है।
5 जीवन का खतरा - कारखाने, कोयले की खदानें, पटाखों की फैक्टरी आदि में कार्य करने से बाल श्रमिकों की जान को ज्यादा खतरा रहता है। सरकार ने इसके लिए भी कानून बनाया है, जिसमें 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कारखानों एवं खदानों में काम करवाना अपराध है।
बाल श्रम का मुख्य कारण गरीबी, अशिक्षित समाज एवं देश की बढ़ती जनसंख्या है। बाल श्रम जैसा अपराध विदेशों में भी बहुत अधिक देखने को मिलता है। बाल श्रम सभी देशों के विकास में सबसे ज्यादा बाधक बनता है।
बाल श्रमिकों हेतु व्यवस्थाएं-
1. बाल श्रमिक स्कूल - सरकार द्वारा बाल मजदूरों के लिए बाल श्रमिक स्कूल खुलवाने चाहिए। जो उन्हें उनके काम के बाद शिक्षा प्रदान करे।
2. मुफ्त शिक्षा - सरकार द्वारा सभी सरकारी स्कूलों की शिक्षा, दसवीं कक्षा तक मुफ्त कर देना चाहिए। ऐसा करने से सभी गरीब बच्चे हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण कर सकते हैं एवं उन्हें रोजगार भी आसानी से प्राप्त हो सकेंगे।