ईद का जश्न

NDND
ईद का दिन है हर तरफ़ है ख़ुशी

पर मुझे कोई तो ये बतलादे

पूरे रोज़े रखे हैं क्या उसने

क्या पढ़ी उसने सब नमाज़ें भी

और क़ौरआन की तिलावत तो

रोज़ ही सुबोशाम की होगी

दे चुका होगा वो ग़रीबों को

वो रक़म जो ज़कात होती है

सदक़ा-ए-फ़ित्र भी दिया होगा

और फिर ईद-गाह में जाकर

पढ़ चुका होगा वो नमाज़-ए-ईद

गर ये सब काम कर दिए पूरे

फिर तो हक़ है उसे के सजधज कर

ख़ूब खाए-पिए, गले मिलकर

सब के हमराह वो मनाए ईद।

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