एहसास पर पहरा है लोगों

रोहित जैन
सेहर है या कोई सहरा है लोगों
सभी बातों पे क्यों पहरा है लोगों

जहाँ कश्ती मेरी आकर रुकी है
समन्दर और भी गहरा है लोगों

हज़ारों आईने हैं इस जगह पर
कहाँ खोया मेरा चेहरा है लोगों

जो कहता है के सुनता हूँ सभी की
असल में वो ही तो बहरा है लोगों

WDWD
लगामें बस लबों तक ही नहीं हैं
यहाँ एहसास पर पहरा है लोगों

दिखे कैसे यहाँ पर कुछ किसी को
निगाहों में भरा कोहरा है लोगों

कहे 'रोहित' ये सच है सिर्फ़ सच है
लगा चेहरों पे इक चेहरा है लोगों ।