यादगार बनी जीत पाक पर बर्मिंघम के मैदान की।
रोने को भी जगह नहीं उस टीम लहूलुहान की।
आक्रामक था खेल हर विभाग में भारत के शेरों का,
ओ अन्धे देश! मोदी के शेरों की करामात तो देख।
उनका जुनून, उनका हौसला, (देश की शान के लिए) उनके जज़्बात तो देख।
(वे मूर्ख आत्मघाती फिदायी नहीं,)
वे जीते हैं अपने देश को जिताने के लिए।
जीत की चाह करने के पहले, अपनी औकात तो देख।।
अरे! तू मर रहा है, और मरेगा, मरता ही जाएगा।
अपनी आत्मघाती फितरत से, विनाश की कब्र में उतरता ही जाएगा।
तूने ठानी है आतंक से दुनिया को त्रस्त करने की,
बखुदा, ऐसी होगी क़यामत नाज़िल तुझ पर,
देखना, रेत के ढेर सा खुद बिखरता ही जाएगा।।
मोदी सा समर्पण, कर्तव्यनिष्ठा, योगी सा धाकड़पन कहां से लाओगे।
विकास के आकाश में इसरो सा प्रक्षेपण कहां से लाओगे।
भारत जैसे विशाल, सुदृढ़, आत्माभिमानी राष्ट्र से,
जहां-जहां टकराओगे, वहां-वहां मुंह की खाओगे।।