कविता : तुमने कहा था

श्रीमती गिरिजा अरोड़ा
तुमने कहा था साथ रखना,
सब होगा अच्छा विश्वास रखना।
 
कोई बैरी नहीं सपनों का,
स्वप्न मगर कुछ खास रखना।
 
जिससे हिल जाए घर की दीवारें,
नहीं कोई ऐसी बात रखना।
 
कांटों से चुभते जीवन में,
हंसने का उल्लास रखना।
 
अंधेरी रातों का डर नहीं,
अंतर केवल प्रकाश रखना।
 
तुमने कहा था कि पतझड़ में,
बसंत आने की आस रखना।

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