जीवन में उतार चड़ाव कहा नहीं आते
पर रथ के पहिये यूँ नहीं साथ छोड़ जाते|
क्यों नहीं तू बन जाती नदिया
जहाँ मेरा अस्तित्व विलीन हो जाए
क्यों नहीं तू बन जाती तू वो बीणा
जहाँ मेरा सर्वस्व तल्लीन हो जाये|
मेरे जीवन का आइना तुम बन जाओ
जहाँ मेरा प्रतिबिम्ब भी तुम्हारा हो
मेरा दिन मेरी रात तुम बन जाओ