नई कविता - तस्वीर

देवेन्द्र सोनी
तस्वीर का जीवन से
गहरा नाता है हमारा ।
 
बचपन से ही 
हो जाता है तस्वीरों से
सामना हमारा ।
 
घर-बाहर और हर कहीं 
दिखाई देती है विविधता भरी तस्वीरें ।
तस्वीरों से ही भरते हैं 
जीवन में विचारों के रंग 
माता-पिता और गुरुजन हमारे।
 
घर में लगी देवी-देवताओं और
बुजुर्गों की तस्वीरें सिखाती है -
श्रद्धा, प्रेम, अनुशासन और 
हिल-मिल कर रहना तो 
पढ़ाई के दौरान चित्रों से ही आती हैं - 
दक्षता, समझ और दुनियादारी।
प्रेरणा भी मिलती हमको 
तस्वीरों से महापुरुषों की।
 
अलावा इसके, 
बनती-बिगड़ती है तस्वीरें
मन में भी हमारे।
यह हो सकती हैं किसी की भी
जो ले जाती है - 
घृणा, प्रेम या आदर्श के रास्ते पर।
 
इन्हीं रास्तों पर चलते-चलते
गुजर जाती है जिंदगी हमारी
और हो जाते हैं 
हम भी एक दिन तस्वीर।
 
इसलिए कहता हूं-तस्वीर का 
गहरा नाता है जीवन से हमारे
जब बनना ही है अंत में तस्वीर तो
बनें ऐसी तस्वीर, जो दे सके प्रेरणा
आने वाली पीढ़ी दर पीढ़ी को।
 
तो करेंगे न प्रयास आज से
बनें जब भी तस्वीर हम
पूजित हो वह 
जन-जन में, मन-मन में।

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