हिन्दी में शायरी : अपराध हो गया है...

- कैलाश यादव 'सनातन' 
 
 

 
फूलों की ओट लेकर, फिर चुभ गया है कांटा।
मंदिर भी जाना अब तो, अपराध हो गया है।।
 
साहिल पे आकर अक्सर, डूबी है देखो कश्ती।
उस पार भी जाना अब तो, इक ख्वाब हो गया है।।
 
जलजले में अक्सर, खुलती नहीं हैं आंखें,
क्या खाक तुम लिखोगे, किस्सा-ए-जिंदगी का।।
 
अश्कों में तुमने यूं ही, गम को बहा दिया है।
पलकों पे उसको थामा, इक मोती बन गया है।।
 
मंदिर भी जाना अब तो, अपराध हो गया है...।
 

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