कविता : मैं अच्छी लड़की नहीं हूं

मैं अच्छी लड़की नहीं हूं
पर्दा नहीं करती, चुप्पी नहीं ओढ़ती
बराबरी से तुमसे, सवाल-जवाब करती हूं 
मैं अच्छी लड़की नहीं हूं।
 
मैं भी पढूंगी, आगे बढूंगी
सपनों को अपने, मैं पंख दूंगी
तुमसे इन सारे हक के लिए लड़ती हूं
मैं अच्छी लड़की नहीं हूं।
जुल्म नहीं सहती, खामोश नहीं रहती
हाथ जो उठाओ, तो हाथ पकड़ लेती हूं
मैं अच्छी लड़की नहीं हूं।
 
फब्तियां कसे कोई, पीछा करे कोई
बीच राह में आके हाथ पकड़ ले कोई
ऐसे सिरफिरों को वहीं शर्मशार करती हूं
मैं अच्छी लड़की नहीं हूं। मैं अच्छी लड़की नहीं हूं।

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