फैक्टरियां सुस्त हैं वहां, अर्थव्यवस्था उतार पर।
कई मायनों में देश दिवालियेपन की कगार पर।
विकसित देशों के दरवाजे उनके लिए बंद हैं।
युवा हैं वहां दिग्भ्रमित, उनके करियर कुंद हैं ।।2।।
अमेरिका, मध्य-पूर्व से किए विश्वासघातों से पैदा अनबन।
प्रांतों के असंतोष से मंडरा रहा खतरा-ए-विघटन।
सेना तो भस्मासुर है, दूसरों को नहीं तो खुद को खाएगी।
(सत्ता/ सुविधा की कमी होते ही लाल-लाल आंखें दिखाएगी)।
सेना, धर्मांधता, आतंकवाद तो चक्रव्यूह हैं, भंवर हैं।
इनमें फंसे राष्ट्र को कोई दुआ न बचा पाएगी ।।4।।