खौफनाक ये मंजर देख,आर-पार है खंजर देखकतरे-कतरे को तरसा है,प्यासा एक समंदर देखमंदिर-मस्जिद गुरुद्वारे में,रंग-बिरंगे पत्थर देखगोली, बर्छी, भाले, कर्फ्यू,हैवानों का लश्कर देखधूप छुपी बादल के डर से,मौसम के ये तेवर देख
आस्तीन में रहते हैं ये,
सांप, संपोले, अजगर देख
जिसको देख कबीरा रोया,
हालत ऐसी बदतर देख
आजादी को गिरवी रख दें
सत्ता के सौदागर देख ।
साभार : कथाबिंब