वह गाय ले आया लेकिन उसे क्या मालूम था कि गाय को पालना इतना आसान नहीं है। दिनभर गाय की देखरेख करना। गोबर हटाना और साफ सफाई करने के बाद दूध निकालना, इसी में उसका समय चला जाता था। फिर एक दिन गाय को बछड़ा हो गया। अब शिष्य को फुरसत नहीं मिलती थी। रात भी ध्यान देना पड़ता था। ध्यान और तप के लिए समय ही नहीं मिलता। बिल्ली, गाय और बछड़ा, बस इसी के आसपास उसका जीवन उलझकर रह गया था। ध्यान-पूजा सब छूट गया।