दो साल हो गए हमारी शादी को। बताओ मैं तुम्हें सबसे सुंदर कब लगी ?
अं.....चलो तुम ही बताओ। तुम्हारा रूप कब सबसे सुंदर लगा होगा मुझे ?
न....न...रहने दो तुम नहीं बता पाओगी। मैं ही बताता हूं। याद है जब हम शिमला में मंदिर की सीढ़ियों पर बैठे थे। तब एक बूढ़ी महिला को देख तुम्हें अपनी दादी की याद आ गई थी। तब दादी की दी हुई सीखों, हिदायतों के बारे में बताते हुए तुम इतना खो गई कि मुझे तुममें दादी का प्रतिरूप नजर आने लगा। सच.....तब इतनी सुंदर लगी तुम कि मैंने धीरे से तुम्हारे चरण छू लिए।