लघुकथा : विशेष की कीमत

सपना सीपी साहू 'स्वप्निल'
"भैया! फूल देना ,आज मुझे लाल नहीं पीले फूल चाहिए,  इसलिए आप मुझे आज सिर्फ पीले फूल ही देना। वह एक नोट बढ़ाकर मुस्कुराते हुए बोली।"
 
"दीदी! आप रोज जिस कीमत पर फूल लेते हैं, उतने में आज पीले फूल नहीं आएंगे। ऊपर पैसे देने होगे।"
 
"भैया! रोज जब लाल चाहिए होते हैं, तो पीले भी साथ रख देते हो आज पूजा विशेष के लिए पीले फूल चाहिए तो भाव बड़ा रहे हो।"
 
"हाँ दीदी! आज आपको भगवान को खुश करने के लिए पीले फूल विशेष रूप से चाहिए, तो विशेष की कीमत भी ज्यादा ही देनी होगी। फूलवाले ने चुटीले अंदाज में कहा।"
 
"उसने एक की जगह दो नोट बढ़ाते हुए कहा - आप सही कह रहे हैं भैया! विशेषता ही कीमत बढ़ाती है। यह बात वस्तु पर ही लागू नहीं होती बल्कि यह जीवन का मूलमंत्र भी है।"
 
©®सपना सी.पी.साहू "स्वप्निल"
इंदौर (म.प्र.)

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