लघुकथा : पत्रकार ?

प्रज्ञा पाठक
एक राजनेता की किसी समारोह के दौरान चप्पलें गुम हो जाने की वजह से समारोह-स्थल से अपनी कार तक के मात्र दस कदम के फासले को उन्होंने नंगे पैरों तय किया और पत्रकारों ने इसे एक 'बॉक्स ख़बर' बना दिया।
 
एक चलचित्र नायिका के पांचवे रोमांस को पत्रकारों ने सविस्तार प्रकाशित किया।
 
करोड़ों रूपये कमाने वाले एक ख्यात क्रिकेट खिलाड़ी द्वारा विकलांगों के लिए मात्र तीन लाख रूपये दान करने की घटना पत्रकारों की कृपा से समाचार-पत्रों की 'सुर्ख़ी' बन गई।
 
एक आम आदमी अपनी पेंशन आरम्भ करवाने के लिए महीनों तक कार्यालय दर कार्यालय भटकता रहा।
 
एक छात्र उच्च शिक्षित होने के बावज़ूद एक अदद नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खाता रहा।
 
परिवार का पेट भरने की खातिर चन्द रुपयों के लिए एक निर्धन लड़की को निरंतर शोषण हेतु विवश किया जाता रहा।
 
किन्तु पत्रकारों की दृष्टि में ये सभी 'अछूत' ही बने रहे।
 
हां,इन तीनों की मृत्यु ने अवश्य 'सुर्ख़ी' बनकर 'बॉक्स' में सविस्तार स्थान पा लिया।

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