ये प्रेम-यात्रा कैलास मानसरोवर, राक्षसताल, अमरनाथ और भुसुन्डि सरोवर तक की कठिनाई को और दुनिया के लगभग सभी देशों तक बिना प्रयास सहज ही पहुंच गई है, मगर इस बार विशेष तीर्थ खजुराहो को इस प्रेम-यात्रा ने चुना है।
इस खजुराहो की प्रेम-यात्रा में मुरारी बापू 9 दिन तक हमसे राम के दिए हुए काम पर बातें करेंगे जिससे हमारी जिंदगी में दोनों का ताल-मेल एक हारमनी (Harmony) बन जाए फिर काम समस्या नहीं रहेगा और आनंदपूर्ण संगीत अंतरनाद सुनाई दे सकता है, अंतरवीणा बज सकती है, यदि ठीक से सुना जा सके।
इस प्रेम-यात्रा में बापू के हमसफर आप भी बिना किसी शर्त के (यानी जब चाहे यात्रा में) शामिल हो जाओ, जब चाहे अलग हो जाओ) बन सकते हैं। आपकी स्वतंत्रता का पूरा सम्मान यहां है और आपको यहां कोई कीमत भी नहीं चुकानी है, क्योंकि बापू की इस यात्रा के पड़ाव की जो जिम्मेदारी लेता है, वो सबकी प्रेमपूर्वक रहने और खाने की नि:शुल्क व्यवस्था भी करता है। ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है और इस प्रेम-यात्रा के पड़ाव की जिम्मेदारी लेने के लिए लोगों की लाइन बापू के पास रहती है जिसे बापू हां कह देते हैं, वो अपने को भाग्यशाली समझता है।