भारत और विश्व में जो भी घटना या दुर्घटना होने वाली रहती है उसके संकेत पहले से ही चार धामों में में किसी न किसी धाम से मिल ही जाते हैं। जैसे हाल ही में एक पक्षी जगन्नाथ मंदिर के ध्वज को ले उड़ा था इसके बाद बताया जाने लगा था कि कुछ होनी अनहोनी होने वाली है। इसके बाद कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ और फिर ऑपरेशन सिंदूर चला। इसके बाद संत अच्युतानंद महाराज की समाधि और गादी स्थापित पास आग लग गई थी। इस घटना के बाद एयर इंडिया का प्लेन हादसा हुआ था। अब हाल ही में संत अच्युतानंद के गादी मंदिर के पास का प्राचीन और पवित्र नेमाल वृक्ष काट दिया गया है जिसको लेकर ओड़िसा के लोगों में बहुत गुस्सा है। बताया जाता है कि यह 600 वर्ष पुराना वृक्ष था।
ओडिशा के कटक जिले में स्थित नेमाल गाँव में स्थित वटवृक्ष (बरगद का पेड़), जिसे अच्युतानंद मंदिर के पास देखा जा सकता है। इसे 'महान वृक्ष' या 'महाकल्पबता' भी कहा जाता है। हाल ही में, इस पेड़ की पत्तियाँ गिर गई थीं, जिससे भक्त चिंतित हो गए थे, लेकिन अब तो शासन के आदेश से ही इस वृक्ष को काट दिया गया है जो कि बहुत ही चिंता वाली बात है। भक्तों में इसको लेकर बहुत गुस्सा है। पूरे ओड़िसा में इसको लेकर चर्चा हो रही है। सभी कह रहे हैं कि अब तो महाविनाश तय है। हालांकि सवाल यह भी है कि क्या एक पेड़ के कट जाने से महाविनाश होगा? इस पेड़ से लोगों की आस्था जुड़ी थी इसलिए लोगों का इससे मन दुखा है।
उल्लेखनीय है कि जगन्नाथ मंदिर से जुड़े संकेतों का उल्लेख पंच सखाओं की मालिका पुस्तक से मिलता है। इसमें भी अच्युतानंद दास की भविष्य मालिका में बताया गया है कि जब मंदिर में रक्त गिरेगा, ध्वज खंडित होगा, गुंबद से पत्थर गिरेंगे तब समझना की कलयुग का अंत होने वाला है इसके पहले महायुद्ध होगा और करोड़ों लोग मारे जाएंगे। इसके बाद 1000 वर्षों तक शांति रहेगी।