हिन्दू धर्म : भोजन मंत्र क्या है और कैसे करें प्रार्थना?
शनिवार, 20 मई 2023 (04:33 IST)
Bhojan Mantra Prathna : हिन्दू धर्म में मनुष्य की दिनचर्चा की प्रत्येक हरकत को एक आध्यात्मिक आयाम दिया है। जैसे सुबह उठते ही ईष्टदेव को धन्यवाद देते हुए मंत्र बोलते हैं। उसी तरह भोजन करते वक्त 3 ग्रास ब्रह्मा, विष्णु और महेश के लिए अलग निकालकर नमस्कार करते हैं और फिर भोजन की थाली के चारों ओर जल अर्पण करते हैं।
हिन्दू धर्म में | Bhojan mantra:
भोजन मंत्र :-01
1. ॐ अन्नपूर्णे सदापूर्णे
शंकरप्राणवल्लभे। ज्ञानवैराग्यसिद्यर्थम् भिक्षां देहि च पार्वति।
5 अंगों (2 हाथ, 2 पैर, मुख) को अच्छी तरह से धोकर ही भोजन करना चाहिए।
भोजन से पूर्व अन्नदेवता, अन्नपूर्णा माता की स्तुति करके उनका धन्यवाद देते हुए तथा 'सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो', ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करके भोजन करना चाहिए।
भोजन बनाने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाएं और सबसे पहले 3 रोटियां (गाय, कुत्ते और कौवे हेतु) अलग निकालकर फिर अग्निदेव को भोग लगाकर ही घर वालों को खिलाएं।
भोजन किचन में बैठकर ही सभी के साथ करें। प्रयास यही रहना चाहिए की परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिल बैठकर ही भोजन हो। नियम अनुसार अलग-अलग भोजन करने से परिवारिक सदस्यों में प्रेम और एकता कायम नहीं हो पाती।
प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है, क्योंकि पाचनक्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 घंटे बाद तक एवं सूर्यास्त से 2.30 घंटे पहले तक प्रबल रहती है। जो व्यक्ति सिर्फ एक समय भोजन करता है वह योगी और जो दो समय करता है वह भोगी कहा गया है।
एक प्रसिद्ध लोकोक्ति है 'सुबह का खाना स्वयं खाओ, दोपहर का खाना दूसरों को दो और रात का भोजन दुश्मन को दो।'
भोजन पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही करना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है। पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है।