शुक्रवार व्रत 3 तरह से किया जाता है। इस दिन भगवान शुक्र के साथ-साथ संतोषी माता तथा वैभवलक्ष्मी देवी का भी पूजन किया जाता है। तीनों व्रतों की विधियां अलग-अलग हैं। जो स्त्री-पुरुष शुक्रवार को संतोषी माता का व्रत करते हैं, उनके लिए व्रत-विधि इस प्रकार है -
* घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
* घर के ही किसी पवित्र स्थान पर संतोषी माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
* संपूर्ण पूजन सामग्री तथा किसी बड़े पात्र में शुद्ध जल भरकर रखें।
* जल भरे पात्र पर गुड़ और चने से भरकर दूसरा पात्र रखें।
* तत्पश्चात आरती कर सभी को गुड़-चने का प्रसाद बांटें।
* अंत में बड़े पात्र में भरे जल को घर में जगह-जगह छिड़क दें तथा शेष जल को तुलसी के पौधे में डाल दें।
* इसी प्रकार 16 शुक्रवार का नियमित उपवास रखें।
* अंतिम शुक्रवार को व्रत का विसर्जन करें। विसर्जन के दिन उपरोक्त विधि से संतोषी माता की पूजा कर 8 बालकों को खीर-पूरी का भोजन कराएं तथा दक्षिणा व केले का प्रसाद देकर उन्हें विदा करें।