Kuber Puja: रावण के सौतेले भाई कुबेर को भगवान शंकर ने 'धनपाल' होने का वरदान दिया था। इन्हें यक्ष भी कहा गया है। देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर को पूजने से भी पैसों से जुड़ी तमाम समस्याएं दूर रहती हैं। यक्ष के रूप में वे खजानों के रक्षक है पुराने मंदिरों के वाह्य भागों में कुबेर की मूर्तियां पाए जाने का रहस्य भी यही है कि वे मंदिरों के धन के रक्षक हैं और राक्षस होने के नाते वे धन का भोग भी करते हैं।
घर की उत्तर दिशा को कुबेर देव की दिशा माना जाता है। अत: इस दिशा की दशा सही रखने से घर में सुख, शांति और धन धान्य बना रहता है। इसकी के साथ गुरुवार या त्रयोदशी के दिन कुबेर देव की पूजा करने उन्हें अपराजिता के फूल, गूलर के फूल या कमल का फूल अर्पित करते हैं। फलों में उन्हें अनार प्रिय है। मिठाई में पीले रंग के लड्डू, केसर खीर, पेठा, भूराकोला अर्पित करें। इसके अलावा धनिया, कमलगट्टा, इत्र, सुपारी, लौंग, इलायची, दूर्वा, हल्दी, गेंदे का पौधा, क्रसुला का पौधा, पंचामृत, लाल चंदन, हल्दी, पंचमेवा भी उन्हें अर्पित कर सकते हैं।
दीपावली के पहले त्रयोदशी के दिन धन के देवता कुबेर की इस दिन विशेष पूजा होती है। कुबेर भी आसुरी प्रवृत्तियों का हरण करने वाले देव हैं इसीलिए उनकी भी पूजा का प्रचलन है।