1. राधारानी मंदिर, बरसाना : राधारानी का विश्वप्रसिद्ध मंदिर बरसाना ग्राम की पहाड़ी पर स्थित है। बरसाना में राधा को 'लाड़ली' कहा जाता है। राधा का प्राचीन मंदिर मध्यकालीन है जो लाल और पीले पत्थर का बना है। मंदिर का फिर से निर्माण राजा वीर सिंह ने 1675 में करवाया था। वास्तव में यह मंदिर वह श्रीकृष्ण के पड़ पोते और प्रद्युम्न के पोते राजा वज्रनाभ द्वारा 5000 साल पहले स्थापित किया गया था।
3. राधा रमण मंदिर: यह मंदिर ड़ीय वैष्णव धर्म का पालन करने वालों के लिए एक विशेष स्थान है। राधा रमण का अर्थ है श्री राधा का प्रिय। यह वृंदावन के ठाकुर की देखरेख में 7 मंदिरों में से एक है। केवल बारह इंच लंबे होने के बावजूद, भगवान राधारमण अपनी सुंदरता से सभी को मोहित कर लेते हैं। इसकी खास बात यह है कि यहां राधारानी की कोई मूर्ति नहीं है, लेकिन राधारमण के बाईं ओर श्री राधा का एक चित्र बड़ी श्रद्धा के साथ रखा गया है।
4. रंग महल : वृंदाव में रंग महल है। प्रतिदिन मंदिर के अंदर स्थित रंगमहल में कृष्ण−राधा का पलंग लगा दिया जाता है और पूरा रंगमहल सजा दिया जाता है तथा राधाजी का श्रृंगार सामान रख कर मंदिर के दरवाजे बन्द कर दिए जाते हैं। जब प्रातः दरवाजे खुलते हैं तो सारा सामान अस्त−व्यस्त मिलता है। मान्यता है कि रात्रि में राधा−कृष्ण आकर इस सामान का उपयोग करते हैं। हालांकि शाम के बाद यह मंदिर बंद हो जाता है और यह भी कहा जाता है कि अगर यहां कोई छुपकर रासलीला देखता है तो वह अगले दिन पागल हो जाता है।
6. राधाकुंड: गोवर्धन से मात्र 5 किमी उत्तर और मथुरा से 26 किमी पश्चिम में स्थित राधाकुंड एक विशाल झील है, जहां श्री कृष्ण ने अरिष्ट (बैल राक्षस) का वध किया था। इस घटना की याद में, हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (अक्टूबर/नवंबर) को यहां एक बड़ा मेला लगता है।
इसके अतिरिक्त यहां श्री राधा दामोदर, राधा श्याम सुंदर, गोपीनाथ, गोकुलेश, श्री कृष्ण बलराम मन्दिर, पागलबाबा का मंदिर, रंगनाथ जी का मंदिर, प्रेम मंदिर, श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर, अक्षय पात्र, वैष्णोदेवी मंदिर, श्री रामबाग मन्दिर आदि भी दर्शनीय स्थान है।