मतदान प्रतिशत : 1950 से 2015

एक सामान्य मतदाता के लिए देश की सरकार उससे जुड़ी जानकारी तलाशना, कार्ड बनाना और मतदाता सूची में नाम दर्ज करने तक के कई कार्यों पर व्यय करती है। वह इसलिए कि देश का आम मतदाता वोट दे और अपनी पसंद का उम्मीदवार, जो उसकी कसौटी पर खरा उतरे, उसे चुने। परंतु सामान्यत: यह देखने में आता है कि देश में किसी भी चुनाव में मतदान प्रतिशत औसत या थोड़ा कम-ज्यादा ही रहता है।
 
हम यह देखते हैं कि वोट देने मध्यम वर्ग का या सामान्य नागरिक ही जाता है। कुछ लोग वोट देने जाना और लाइन में खड़े रहना अपने स्टेटस के विरुद्ध मानते हैं। कुछ का यह मानना होता है कि हमारे वोट देने न देने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है।
 
परंतु यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि एक मतदान में 1-1 वोट की कीमत होती है और 1 वोट से जीत और हार हो जाती है। 1 वोट कम हो जाने पर पुन: वोटों की गिनती की मांग होना सभी को स्मरण में होगा, परंतु लोकसभा, विधानसभा या स्थानीय निकाय के चुनाव में हमेशा ही मतदान प्रतिशत सामान्य ही रहता है।
 
विश्व में 33 देशों में मतदान अनिवार्य है और न देने पर दंड का प्रावधान है और वह नकद राशि का भी हो सकता है। हमारे देश में भी कुछ राजनीतिक दलों द्वारा मतदान अनिवार्य किए जाने मांग समय-समय पर की जाती रही है।
 
मतदान में मतदाताओं की रुचि और अरुचि का हाल इंदौर की जनता का भी 1950 में संपन्न पहले स्थानीय नगर पालिका के चुनाव से रहा है। नगर के इतिहास में देखने योग्य बात यह है कि नगर के पहले चुनाव मार्च 1950 में उस दिन गुड़ी पड़वा थी यानी इंदौरियों ने वोट डालने की शुरुआत ही नववर्ष के पहले दिन से आरंभ की है।
 
इंदौर में संपन्न हुए 1950 से 2 बार नगर पालिका और 1958 से नगर निगम के चुनावों में मतदान प्रतिशत 1950 में 30.93 प्रतिशत रहा, जो काफी कम था। जाहिर है, देश आजाद होने के बाद यह पहला चुनाव था और साक्षरता की जागरूकता का भी अभाव था। इसके बाद 1955 के चुनाव में 67.80 मतदान प्रतिशत रहा, जो पिछले चुनाव के मुकाबले एक रिकॉर्ड था। इस वृद्धि से एक बात जाहिर है कि लोगों में मतदान के प्रति जागरूकता में वृद्धि हुई थी।
 
मध्यभारत से मध्यप्रदेश बनते ही इंदौर को प्रथम श्रेणी की नगर निगम का दर्जा प्रदान कर दिया गया। 1958 में हुए चुनाव में नगर में कुल मतदाता 1 लाख 52 हजार 401 में से 55.23 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था। 1965 के चुनाव में 62.61 प्रतिशत, 1983 में 64.71 प्रतिशत मतदान रहा था।
 
वर्ष 1994 में 52.37 प्रतिशत और 1999 में 40 प्रतिशत ही मतदान हुआ, जो 1950 के बाद चुनाव का सबसे कम मतदान प्रतिशत था। 2004 में 55.38 प्रतिशत, 2009 में 59.41 प्रतिशत और 2015 में 62.35 प्रतिशत मतदान हुआ।
 
पिछले चुनावों में हुए मतदान में मतदाताओं के रुझान और प्रतिशत को देखें तो इस वर्ष 2022 में स्थानीय निकाय चुनाव में उम्मीद करें कि नगर की जनता मतदान में 75 प्रतिशत से अधिक हिस्सा लेकर एक मिसाल कायम करेगी।(फ़ाइल चित्र)

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