Holi 2025: होली और रंगपंचमी पर फाग यात्रा और गेर निकालने की परंपरा के 10 रोचक तथ्य

WD Feature Desk

सोमवार, 10 मार्च 2025 (16:55 IST)
Gair or faag yatra on holi: होलिका दहन के दूसरे दिन धुलेंडी यानी होली पर और पांचवें दिन रंगपंचमी पर फाग यात्रा या कहें कि गेर निकालने की परंपरा रही है। बृजमंडल सहित देश के कई शहरों में गेर निकालने की परंपरा है। आओ जानते हैं कि यह यात्रा या जुलुस कैसे निकालते है और क्या है इसकी खासियत।
 
1. होलिका उत्सव के लिए बरसाने से होली का आमंत्रण गोकुल पहुंचाया जाता है और इसके बाद गोकुल से होली का त्योहार मनाने के लिए बरसाना गांव जाने की परम्परा है। फाग यात्रा निकालकर सभी बरसान जाते हैं और होली खेलते हैं। यहां पर लट्ठमार होली भी खेली जाती है।
 
2. बृज, मालवा, निवाड़ आदि कई क्षेत्रों में होली और रंगपंचमी के दिन रंगों की फुहार में भीगने के लिए न तो किसी को बुलावा दिया जाता है, न ही कोई किसी को रंग लगाता है। 
 
3. हजारों हुरियारे हर साल रंगपंचमी पर निकलने वाली गेर यात्रा (फाग) में शामिल होकर इस उत्सव में डूबते हैं और रंगों का त्योहार खुशी-खुशी मनाते हैं।
 
4. मध्यप्रदेश में इंदौर, देवास, उज्जैन, ग्वालियर, भोपाल, सागर, सतना, रीवा आदि जगहों पर गेर निकाले जाने का प्रचलन है। 
 
5. राजस्थान और अन्य राज्यों में भी गेर निकालने का प्रचलन चला। राजस्थान में 'गैर नृत्य' बहुत प्रचलित है। 
 
6. इंदौर में गेर निकालने की परंपरा होलकर राजवंश के लोगों ने प्रारंभ की थी। होलकर राजवंश के लोग धुलेंडी या रंगपंचमी पर  आम जनता के साथ होली खेलने के लिए सड़कों पर निकलते थे और एक जुलूस की शक्ल में पूरे शहर में भ्रमण करके लोगों के साथ होली खेलते थे। इस दौरान हुड़दंग भी बहुत होती है। इंदौर में कई रंगपंचमी समितियां भी हैं जो गेर निकालती है। गेर शहर के अलग-अलग हिस्सों से निकाली जाती है जो सभी राजवाड़ा में एकत्रित होकर रंगोत्सव मनाते हैं। 
 
7. कहते हैं कि झांसी में गेर निकालने की परंपरा की सबसे पहले शुरुआत हुई थी। 
 
8. गेर ऐसा रंगारंग कारवां है, जिसमें किसी भेद के बगैर पूरा शहर शामिल होता है और जमीन से लेकर आसमान तक रंग ही रंग नजर आते हैं। गेर में हाथी, घोड़ों और बग्घियों के साथ आदिवासी नर्तकों की टोली दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहती है। 
 
9. गेर में टैंकरों में रंग भरा होता है, जिसे मोटर पंपों यानी मिसाइल के जरिए भीड़ पर फेंका जाता है। गुलाल भी कुछ इसी तरह उड़ाया जाता है कि कई मंजिल उपर खड़े लोग भी इससे बच नहीं पाए। बैंड-बाजों की धुन पर नाचते हुरियारों पर बड़े-बड़े टैंकरों से रंगीन पानी बरसाया जाता है। यह पानी टैंकरों में लगी ताकतवर मोटरों से बड़ी दूर तक फुहारों के रूप में बरसता है और लोगों को तर-बतर कर देता है। यह देखकर बहुत ही अच्‍छा लगता है।
 
10. गेर यात्रा में नाचना, गाना या किसी भी तरह का मनोरंजन करने का प्रचलन है। आदिवासी क्षेत्र में विशेष नृत्य, गान और उत्सव मनाया जाता है। आदिवासी क्षेत्रों में हाट बाजार लगते हैं और युवक युवतियां मिलकर एक साथ ढोल की थाप और बांसुरी की धुन पर नृत्य करते हैं। इनमें से कई तो ताड़ी पीकर होली का मजा लेते हैं।

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