राजगोपालस्वामी मंदिर का इतिहास:
राजगोपालस्वामी मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में चोल राजाओं द्वारा करवाया गया था। कई लोगों का मानना है कि कुलोथुंगा चोल प्रथम 10 वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। कुछ लोगों का मानना है कि इसका निर्माण 11-12वीं शताब्दी के आसपास में हुआ था।
राजगोपालस्वामी मंदिर के इतिहास को लेकर अन्य मत है कि मंदिर निर्माण के कई वर्षों बाद तंजावुर के नायकों ने मंदिर के विस्तार में महत्वपूर्ण कार्य किया था। इसके बाद होयसल और विजयनगर राजाओं भी विस्तार किया गया था। मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली की उत्कृष्ट कृति है, जिसमें ऊंचे गोपुरम, विशाल प्रांगण और सुंदर नक्काशी वाले स्तंभ शामिल हैं। राजगोपालस्वामी मंदिर की वास्तुकला की भक्तों को खूब आकर्षित करती है। यह प्रसिद्ध मंदिर करीब 23 एकड़ में फैला हुआ है। कहा जाता है कि इस मंदिर का सबसे ऊंचा टॉवर करीब 154 फीट है।
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मंदिर की विशेषताएं:
• मुख्य देवता: इस मंदिर के मुख्य देवता भगवान कृष्ण हैं, जिन्हें राजगोपालस्वामी के रूप में पूजा जाता है।
• गोपुरम: मंदिर का सबसे आकर्षक हिस्सा इसका ऊंचा गोपुरम है, जो अपनी भव्यता और शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध है।
• प्रांगण: मंदिर का विशाल प्रांगण भक्तों को शांति और सुकून का अनुभव कराता है।
• नक्काशी: मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं की सुंदर नक्काशी देखी जा सकती है।
• होली उत्सव: राजगोपालस्वामी मंदिर में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान, हजारों भक्त रंग-गुलाल से खेलते हैं और भगवान कृष्ण के भजनों का आनंद लेते हैं।