17 मार्च 2022 को होली है, जानिए होलिका दहन से लेकर पूजन और रंग खेलने तक क्या-क्या करें, 20 काम की बातें

होली विशेष : होलिका, धुलेंडी और रंगपंचमी पर क्या क्या किया जाता है या क्या कर सकते हैं। कैसे होगा होलिका दहन, पूजा, सावधानी, गीत, नृत्य या रंग सभी कुछ जानिए। होलिका दहन से लेकर रंगपंचमी तक किए जाने वाले 20 कार्य या काम की बातें।
 
1. होलिका दहन : होलिका दहन के पूर्व होलिका के डांडे के आसपास लकड़ी और कंडे, भरभोलिये जमाकर रंगोली बनाई जाती। होलिका दहन के पहले होली के डांडा को निकाल लिया जाता है। उसकी जगह लकड़ी का डांडा लगाया जाता है। फिर विधिवत रूप से होली की पूजा की जाती है और अंत में उसे जला दिया जाता है। 
 
2. होलिका पूजा सामग्री : थाली में रोली, कुमकुम, कच्चा सूत, चावल, कर्पूर, साबूत हल्दी और मूंग रखें। इसके बाद थाली में दीपक, फूल और माला भी रखें। थाली में 3 नारियल और कुछ बताशे रखें। फिर थाली में बड़गुल्लों की माला भी रखें। इस दिन कंडे, भरभोलिये (उपलों की माला), रंगोली, सूत का धागा, पांच तरह के अनाज, चना, मटर, गेहूं, अलसी, मिठाई, फल, गुलाल, लोटा, जल, गेहूं की बालियां, लाल धागा आदि सामग्री भी एकत्रित कर लें।
 
3. होलिका दहन की पूजा विधि : पूजन करने के पूर्व भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा और आरती करें। फिर सबसे पहले साबूत हल्दी, चावल, मूंग, बताशा, रोली और फूल होलिका पर अर्पित करें। इसके बाद बड़गुल्लों या भरभोलिये की माला अर्पित करें और नारियल भी अर्पित करें और फिर 7 परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत होलिका पर बांधें। होलिका, प्रहलाद और भगवान नृसिंह के मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजन सामग्री से होलिका की पूजा करें। फिर प्रहलाद की और फिर भगवान नृसिंह की पूजा करें। फिर हनुमान जी, शीतला माता, पितरों की पूजा करें। इसके बाद बाद 7 बार परिक्रमा करते हुए होलिका में कच्चा सूत लपेटें। उसके बाद जल, नारियल, कर्पूर, चना, गन्ना, मटर, गेहूं और अन्य पूजा सामग्री होलिका को चढ़ा देते हैं। उसके बाद अग्नि प्रज्वलित करते हैं। फिर जलती हुई होली की भी पूजा और परिक्रमा करते हैं। दूसरे दिन होली को ठंडी करके के लिए भी उसकी पूजा करते हैं।
 
4. होलिका पूजन मंत्र (Holika Pooja Mantra):
- होलिका के लिए मंत्र: ॐ होलिकायै नम:
- भक्त प्रह्लाद के लिए मंत्र: ॐ प्रह्लादाय नम:
- भगवान नरसिंह के लिए मंत्र: ॐ नृसिंहाय नम:
- होलिका दहन की अग्नि में सभी सामग्रियों को अर्पित करते वक्त इस मंत्र का जाप करें- अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।
- भस्म को सिर पर लगाते समय जपें:
वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहि मां देवी! भूति भूतिप्रदा भव।।
 
5. धुलेंडी : कहते हैं कि त्रैतायुग के प्रारंभ में विष्णु ने धूलि वंदन किया था। इसकी याद में धुलेंडी मनाई जाती है। पुराने समय में चिकनी मिट्टी की गारा का या मुलतानी मिट्टी को शरीर पर लगाया जाता था। आजकल होली के अगले दिन धुलेंडी को पानी में रंग मिलाकर होली खेली जाती है तो रंगपंचमी को सूखा रंग डालने की परंपरा रही है। कई जगह इसका उल्टा होता है। धुलेंडी पर शोकसंतप्त लोगों के यहां रंग डालने और बैठने के रिवाज है। रंग पंचमी पर भांग, ठंडाई आदि पीने का प्रचलन हैं।
 
6. संपदा देवी का पूजन : कहते हैं कि इस धन-धान्य की देवी संपदाजी की पूजा होली के दूसरे दिन यानी धुलेंडी के दिन की जाती है। इस दिन महिलाएं संपदा देवी के नाम का डोरा बांधकर व्रत रखती हैं तथा कथा सुनती हैं। मिठाई युक्त भोजन से पारण करती है। इस बाद हाथ में बंधे डोरे को वैशाख माह में किसी भी शुभ दिन इस डोरे को शुभ घड़ी में खोल दिया जाता है। यह डोरा खोलते समय भी व्रत रखकर कथा पढ़ी या सुनी जाती है।
 
7. भांग : होली के दिन भांग पीने का प्रचलन भी सैंकड़ों वर्षों से जारी है। कई लोग मानते हैं कि ताड़ी, भांग और ठंडाई के बिना होली अधूरी है। यदि आप भांग का सेवन करना चाहते हैं तो साथ में चने रख लें। ज्यादा चढ़ जाए तो चने खा लें। तुवर के दाल के पानी से भांग का नशा उतर जाता है। हालांकि आपको किसी विशेषज्ञ से इस संबंध में सलाह लेना चाहिए।
 
8. दुश्मन भी गले मिल जाते हैं : होली के त्योहार के दिन लोग शत्रुता या दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे से गले मिलकर फिर से दोस्त या मित्र बन जाते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं और मिठाइयां बांटते हैं। आप भी अपने परिवार और रिश्तेदारों से अपने गिले शिकवे मिटा लें।
 
9. नवविवाहित न देखें होली : नवविवाहित लड़कियों के लिए होलिका दहन की आग को देखना मना है क्योंकि होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। यानी कि आप अपने पुराने साल के शरीर को जला रहे हैं। इसलिए नवविवाहित महिलाओं के लिए होलिका की अग्नि को देखना ठीक नहीं माना जाता है। यह उनके वैवाहिक जीवन के लिए ठीक नहीं होता है।
 
10. गर्भवती महिला या प्रसूता महिला न देखें होली : गर्भवती महिलाओं को होलिका की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए और न ही उन्हें होली की अग्नि को देखना चाहिए। ऐसा करना गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि वे महिला भी इन नियमों का पालन करें जो हाल ही में मां बनी हैं।
 
11. होली के पकवान : होली के दिन घरों में खीर, पूरी और पूड़े आदि विभिन्न व्यंजन (खाद्य पदार्थ) पकाए जाते हैं। इस अवसर पर अनेक मिठाइयां बनाई जाती हैं जिनमें गुझियों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। बेसन के सेव और दहीबड़े भी सामान्य रूप से उत्तर प्रदेश में रहने वाले हर परिवार में बनाए व खिलाए जाते हैं। कांजी, भांग और ठंडाई इस पर्व के विशेष पेय होते हैं। पर ये कुछ ही लोगों को भाते हैं।
 
12. रंगपंचमी का रंग : होलिका दहन के ठीक पांचवें दिन रंग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति रंगों से सराबोर हो जाता है। शाम को स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद गिल्की के पकोड़े का मजा लिया जाता है।
 
13. पशुओं की पूजा : होली के कुछ दिन पहले ही गांव में पशुओं के शरीर पर रंग बिरेंगे टेटू बनाए जाते हैं। उनके सिंगों पर मोर पंख, गले में घुंघरू बांधे जाते हैं।
 
14. गान और नृत्य : आदिवासी क्षेत्रों में हाट बाजार लगते हैं और युवक युवतियां मिलकर एक साथ ढोर की थाप और बांसुरी की धुन पर नृत्य करते हैं। इनमें से कई तो ताड़ी पीकर होली का मजा लेते हैं।
 
15. होली में अनाज : घरों में बने पकवानों का यहां भोग लगाया जाता है। इस आग में नई फसल की गेहूं की बालियों और चने के होले को भी भूना जाता है।
 
16. होली के गीत : गांवों में लोग देर रात तक होली के गीत गाते हैं तथा नाचते हैं। स्थानीय भाषाओं में बने होली के गीतों में कुछ ऐसे गीत हैं जो सदियों से गाए जा रहे हैं। 
 
17. होली पर 10 देवताओं की पूजा : होली पर भगवान विष्णु, नृसिंह भगवान, श्री शिव, कामदेव, श्री कृष्ण, श्री राधा, श्री पृथु, श्री हनुमान, श्री लक्ष्मी, अग्नि एवं संपदा देवी की पूजा होती है।
 
18. भरभोलिये : होली में आग लगाने से पहले भरभोलिए की माला को भाइयों के सिर के ऊपर से 7 बार घूमा कर होली की आग में फेंक दिया जाता है। इसका यह आशय है कि होली के साथ भाइयों पर लगी बुरी नज़र भी जल जाए। कंडे की माला को भरभोलिए कहते हैं। एक माला में सात भरभोलिए होते हैं।
 
19. रंग से बचने के उपाय : होली पर रंग खेलने के पूर्व पूरे शरीर पर अच्छे से तेल लगा लें। होली प्राकृतिक रंगों से ही खेलें केमिकल रंगों से दूर रहें। होली खेलते समय सन ग्लासेस का जरूर इस्तेमाल करें, क्योंकि ये आपकी आंखों को रंग से बचाए रखने में काफी हद तक मदद करेंगे।
 
20. होली मनाने के प्रमुख स्थान : कई लोग होली मनाने के लिए खास जगहों पर जाते हैं। जैसे बरसाना, मुंबई, गोवा, इंदौर, आनंदपुर साहिब, उदयपुर, जयपुर, झाबुआ, हम्पी, कुमाउ, मणिपुर, असम आदि जगहों पर जाते हैं।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी