International Albinism Awareness Day : प्रतिवर्ष 13 जून को विश्वभर में रंगहीनता/ ऐल्बिनिज़म से पीड़ित व्यक्तियों के लिए अंतरराष्ट्रीय ऐल्बिनिज़म जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
ऐल्बिनिज़म या रंगहीनता की उत्पत्ति लैटिन ऐल्बस, 'सफेद' शब्द से हुई है। इसे अन्य नाम ऐक्रोमेसिया, ऐक्रोमेटोसिस या ऐक्रोमिया भी कहा जाता है।
ऐल्बिनिज़म बारे में कहा जाता है कि मेलेनिन के उत्पादन में शामिल एंजाइम का जब शरीर में अभाव हो जाता हैं तब इसके मानवाधिकारों का जश्न मनाने के लिए ही अंतरराष्ट्रीय ऐल्बिनिज़म जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
इसकी कमी की वजह से मनुष्य की त्वचा, बाल और आंखों में रंग के आंशिक अभाव को चिह्नित किया जाता हैं जो एक जन्मजात विकार भी हो सकता है, जो सभी रीढ़धारियों को प्रभावित करता है। तथा दृष्टि दोषों के साथ जुड़ा हुआ फोटोफोबिया या प्रकाश की असहनीयता, और साफ दिखाई न देना (ऐस्टिगमैटिज्म) हैं।
बता दें कि हमारी त्वचा और बालों को मिलने वाले मेलेनिन नामक एक पिगमेंट रंग का कार्य सनस्क्रीन की तरह हानिकारक यूवी विकिरण से त्वचा की रक्षा करना है। अतः त्वचा इसके अभाव में सूर्य की तेज धूप से झुलसने का खतरा बढ़ जाता है। तथा इससे त्वचा कैंसर होने के चांसेस भी अधिक होते हैं। इसी कारण हर साल 13 जून को दुनिया में ऐल्बिनिज़म जागरूकता दिवस मनाया जाता है, जो इस समस्या से लोगों को जागरुक करने का तथा इससे बचाव के लिए प्रेरित करने का कार्य करता हैं।
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