कब और क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय गणित दिवस, जानें महान गणितज्ञ रामानुजन के बारे में

WD Feature Desk

शनिवार, 21 दिसंबर 2024 (11:25 IST)
srinivasa ramanujan jayanti : भारत में प्रतिवर्ष 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। यह दिवस मनाने का उद्देश्य देश के महान गणितज्ञों को केवल एक श्रद्धांजलि देना नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी को गणित का महत्व और उसके प्रयोगों से जुड़ने के लिए जागरूकता बढ़ाने का दिन भी है। यहां जानिए राष्ट्रीय गणित दिवस और महान गणितज्ञ के बारे में...

Highlights 
  • गणित के जादूगर थे रामानुजन।
  • रामानुजन ने विश्व में लहराया था भारत का परचम।
  • राष्ट्रीय गणित दिवस के बारे में जानें।
कब और कैसे हुई इस दिन को मनाने की शुरुआत : यह दिन भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। आपको ब‍ता दें कि दुनियाभर में जहां भी संख्या आधारित खोज और विकास की बात होती है, तो भारत की गणितीय परंपरा को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया जाता है। वर्ष 2012 में श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिन, 22 दिसंबर को 'राष्ट्रीय गणित दिवस' को मनाना घोषित किया गया है। रामानुजन वो महान गणितज्ञ हैं, जिन्होंने पिछली सदी के दूसरे दशक में गणित की दुनिया को एक नया आयाम दिया था। 
 
श्री रामानुजन के बारे में जानें : श्रीनिवास रामानुजन एक विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे और विश्व में जहां भी संख्याओं पर आधारित खोजों की जाती हैं तो देश की गणितीय परंपरा में 'गणितज्ञों का गणितज्ञ' तथा 'संख्याओं के जादुगर' के रूप में श्रीनिवास रामानुजन का नाम सर्वप्रथम तथा सर्वश्रेष्ठ स्थान में लिया जाता है। 
 
श्रीनिवास रामानुजन का जन्म एक ब्राह्मण अयंगर परिवार में मद्रास से 400 किमी. दूर ईरोड में सन् 1887 में हुआ था। उनका पूरा नाम श्रीनिवास रामानुजन अयंगर था। वहां कुम्भकोणम के प्राइमरी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद सन् 1898 में हाईस्कूल में सभी विषयों में अच्छे अंक प्राप्त किए। साथ ही घर की आर्थिक जरूरतों के लिए उन्होंने क्लर्क की नौकरी की।

उन्होंने महज 12 साल की उम्र में ही खुद से तथा बिना किसी की सहायता लिए त्रिकोणमिति में महारत हासिल की थी। उसी दौरान रामानुजन को गणित पर जी.एस. कार द्वारा लिखीत बुक पढ़ने का अवसर मिला और इस किताब से प्रभावित होकर उनकी रुचि गणित में बढ़ने लगी। तब इस दौरान वे खाली पन्नों पर अक्सर गणित के सवाल हल करते रहते थे। 
 
जब एक प्रशंसक व्यक्ति की नजर उनके लिखे पन्नों पर पड़ी तो वह प्रभावित हो गए और उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पाश्चात्यी गणितज्ञ यानि विश्व के प्रसिद्ध गणितज्ञों में से एक रहे प्रो. जी.एस. हार्डी के पास रामानुजन को भेजने का प्रबंध कर दिया।

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय जाने के पहले रामानुजन हाईस्कूल के अनुत्तीर्ण छात्र थे और उनके पास कोई कॉलेज डिग्री भी नहीं थी, फिर भी वह उस समय हजारों गणितीय प्रमेय सूत्र तैयार कर चुके थे। वे पहले भारतीय थे जिन्हें 1918 में रॉयल सोसाइटी और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा फेलोशिप मिली थी। उनकी थ्योरी ब्लैकहोल और स्ट्रिंग थ्योरी के लिए उपयोग की जाती है। 
 
रामानुजन ने अपने संख्या-सिद्धांत के कुछ सूत्र प्रो. शेषू अय्यर को दिखाए, तो उनका ध्यान प्रो. हार्डी की तरफ गया। रामानुजन ने शुरुआत में जब अपना शोधकार्य प्रो. हार्डी के पास भेजा तो वे भी प्रथम दृष्टया उसे समझ नहीं पाए। तब अपने गणितज्ञ मित्रों से चर्चा करने के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे कि रामानुजन गणित के क्षेत्र में एक असाधारण व्यक्ति हैं। और इसी आधार पर रामानुजन के कार्य को ठीक से समझने और उसमें आगे शोध के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया।

तब विश्व के प्रसिद्ध गणितज्ञों में से एक रहे प्रो. हार्डी के शोध को पढ़ने के बाद रामानुजन ने बताया कि उन्होंने हार्डी के अनुत्तरित प्रश्न का उत्तर खोज लिया है। इसके बाद प्रोफेसर हार्डी से रामानुजन का पत्र व्यवहार शुरू हो गया। इस तरह रामानुजन जैसे हीरे की पहचान करने वाले एक जौहरी प्रो. हार्डी के रूप में उन्हें मिल चुके थे। 
 
श्री रामानुजन जिनका सम्मान आज पूरी दुनिया करती है, उनकी प्रतिभा को पहचानने का श्रेय प्रो. हार्डी को दिया जाता है, जिन्होंने रामानुजन को आर्कमिडीज, यूलर, गॉस तथा आईजैक न्यूटन जैसे दिग्गजों की समान श्रेणी में रखा तथा विश्व में नए ज्ञान खोजने की पहल की सराहना की। प्रो. हार्डी को भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का गुरु भी कहा जाता है। रामानुजन का निधन 26 अप्रैल 1930 को मद्रास में हुआ था।
 
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