मृत्यु : 19 दिसंबर 1927, फैजाबाद जेल में फांसी
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के साथ हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी में लेखन कार्य, देश में चल रहे आंदोलनों और क्रांतिकारी घटनाओं से प्रभावित अशफाक के मन में भी क्रांतिकारी भाव जागे और उसी समय उनकी मुलाकात मैनपुरी षड्यंत्र के मामले में शामिल रामप्रसाद बिस्मिल से हुई और वे भी क्रांति के जश्न में शामिल हो गए। इसके बाद वे ऐतिहासिक काकोरी कांड में सहभागी रहे।