पूरे भारत में मकर संक्रांति का त्योहार किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। इस दिन देशभर में तरह-तरह के व्यंजन बनते हैं। यह हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा मनाया जाने वाला यह एक प्रमुख पर्व है। इस दिन तिल के विविध व्यंजन व खिचड़ी बनाने तथा इनका दान करने की भी परंपरा है।
यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत है तिल-गुड़ के 5 खास व्यंजन बनाने की आसान विधियां एवं तिल-गुड़ खाने से मिलने वाले फायदे जरूर जानिए...
1. तिल पोळी
पोळी भरावन की सामग्री : 1 कटोरी सेंक कर बारीक कुटी हुई तिल, 1/4 कटोरी बेसन, 1 कटोरी बारीक कटा गुड़ (अथवा स्वादानुसार), 1/4 चम्मच इलायची पाउडर, 3-4 केसर लच्छे पीनी में भीगे हुए, 1 छोटा चम्मच घी।
रोटी की सामग्री : गेहूं का आटा, 2 चम्मच तेल या घी मोयन के लिए।
विधि : सबसे पहले रोटी का आटा तैयार कर लें। उसके लिए गेहूं के आटे में मोयन डालकर गूंथ कर अलग रख दें। अब एक कड़ाही में घी गरम कर उसमें तिल डालकर थोड़ी देर हिलाएं और अब बेसन डाल दें। बेसन को धीमी आंच पर करीब 5-10 मिनट सेंकने के पश्चात उसमें गुड़ डालकर हिलाते रहे जब तक कि सारा गुड़ पिघलकर एकसार मिश्रण न बन जाएं।
जब सारा मिश्रण अच्छी तरह मिक्स और गाढ़ा हो जाए तब उसमें इलायची पाउडर और केसर डाल दें। जब मिश्रण पूरी तरह ठंडा हो जाए तब उसके छोटे आकार के गोले बना लें और एक-एक गोले को रोटी में भरकर बेल लें और तिल-गुड़ की पोळी बना कर अच्छा घी लगाएं और सर्व करें।
विधि : सर्वप्रथम तिल को कड़ाही में हल्का-सा भून लें। अब एक दूसरे बर्तन में गुड़ में थोड़ा पानी डालकर चाशनी बनाएं। चाशनी बनने पर तिल, इलायची पाउडर डालकर मिलाएं और उसमें बादाम-पिस्ता बारीक कतर कर डालें। अब नारियल बूरा डालकर अच्छी तरह मिलाएं और मनचाहे आकार के लड्डू बना लें। खाने में स्वादिष्ट तिल-गुड़ के लड्डू आपको जरूर पसंद आएंगे। अथवा इसी मिश्रण से अगर आपको तिल पट्टी बनाना हो तो, एक थाली या ट्रे में घी की चिकनाई का हाथ लगाकर इस मिश्रण को जमा देने से तिल पट्टी भी आसानी से बनाई जा सकती है।
3 . तिल-खोया, मेवा रोल
तिल-मावा और ड्राई फ्रूट्स के रोल बनाने के लिए सामग्री : 1 कप खोया (मावा), 2 कप तिल, 1 कप गुड़, 1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर, 1/4 कप मेवे की कतरन।
विधि : सबसे पहले तिल को एक कड़ाही में डालकर सुनहरा होने तक सेंक कर बारीक पीस लें। खोया भून लें। गुड़ की एक तार की चाशनी बनाएं। अब तिल, खोवा व इलायची पाउडर को गुड़ की चाशनी में मिला लें। तैयार मिश्रण को चिकनाई लगे छोटे-छोटे सांचों या थाली में डालकर मेवे की कतरन डालें और मोड़ते हुए रोल का आकार दें। ठंडे होने पर अपनी मनपसंद आकार में काट लें और मकर संक्रांति के तिल-गुड़ के इस पावन पर्व का आनंद उठाएं।
विधि : पहले आटा, रवा, मैदा, तिल, जायफल पावडर एवं नमक मिला लें। अब 1 कप पानी में गुड़ घोलकर गर्म करें। गुड़ पूरी तरह घुल जाने पर इस पानी में 1 बड़ा चम्मच घी (मोयन का घी) मिलाकर खूब फेंटें। फेंटे हुए पानी से कड़ा आटा गूंथ लें। तत्पश्चात गूंथे आटे की 2-3 बड़ी लोइयां बना कर मोटी-मोटी रोटी बेल लें।
अब उसे अपने मनपसंद आकार में शेप देकर काट लें। अब कड़ाही में घी गरम करके धीमी आंच पर सुनहरे होने तक तल लें। तैयार और खाने में जायकेदार तिल पपड़ी पेश करें।
विधि : तिल को साफ करके एक कड़ाही में डालकर हल्के-से भून लें। फिर मावे को भून लें। भुनी हुई तिल ठंडी होने पर मिक्सी में दरदरी पीस लें।
शकर में पानी डालकर चाशनी बनाएं। चाशनी में तिल, मावा, इलायची, बादाम, पिस्ता की कतरन डालें और अच्छी तरह मिलाएं। अब एक थाली में घी की चिकनाई का हाथ लगाकर मिश्रण को चारों तरफ फैला दें। ऊपर से बादाम से सजाएं। मिश्रण ठंडा होने पर अपने मनपसंद आकार में काट लें। लीजिए तिल-खोया की स्वादिष्ट बर्फी तैयार है।
तिल-गुड़ खाने के 7 फायदे
1. तिल और गुड़ की तासी गर्म होती हैं, अत: इसके सेवन से शरीर गर्म रहता है।
2. तिल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर कीटाणुओं का नाश करता है तथा शरीर में फूर्ति आती है।
3. तिल में मैग्नीज, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, कॉपर, मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन बी 1 और फाइबर आदि प्रचुर मात्रा में होता है, अत: सेहत की दृष्टि से इसका सेवन लाभदायी है।
4. तिल खाने से शरीर को भरपूर मात्रा में कैलोरी मिलती है।
5. गुड़ हमारे शरीर के खून की सफाई कर मेटाबॉलिज्म रेट को नियंत्रित करता है।
6. गुड़ का सेवन करने से गले और फेफड़ों के संक्रमण में फायदा मिलता है।
7. अस्थमा रोगी के इलाज में गुड़ काफी लाभदायक होता है। खास कर सर्दी के दिनों में गुड़ और काले तिल के लड्डू बनाकर खाने से अस्थमा दूर होता है और शरीर में गर्मी बनी रहती है।