PoK का निकलना: एक चूक या परिस्थितियों का परिणाम?
जब भारतीय सेना कश्मीर में आगे बढ़ रही थी और पाकिस्तानी कबाइलियों को पीछे धकेल रही थी, तब नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र में सीजफायर की अपील कर दी। यहीं पर कई इतिहासकार मानते हैं कि भारत के हाथों से PoK निकल गया। अगर भारतीय सेना को कुछ और समय दिया जाता, तो शायद आज पूरा कश्मीर भारत का होता। पटेल चाहते थे कि सेना अपना काम पूरा करे, लेकिन नेहरू का संयुक्त राष्ट्र जाने का फैसला इस प्रक्रिया को रोक गया।
असलियत में इस सवाल पर नेहरू-पटेल के मतभेद ऐतिहासिक सच्चाई हैं। यह भी सच है कि नेहरू ने कश्मीर के विषय पटेल के दखल को पसंद नहीं किया। इस मुकाम पर पटेल ने अपने इस्तीफे की पेशकश भी कर दी थी। यह कहानी सिर्फ दो नेताओं के बीच के मतभेदों की नहीं, बल्कि उस समय की जटिल भू-राजनीतिक परिस्थितियों और अलग-अलग विचारधाराओं के टकराव की भी है, जिसके परिणाम आज भी भारत महसूस करता है। कश्मीर का मसला आज भी भारत के लिए एक चुनौती है और PoK का अस्तित्व उस ऐतिहासिक फैसले की एक कड़वी याद दिलाता है।