कुंभ, महिलाएं 16 तो नागा बाबा करते हैं 17 श्रृंगार

अरविन्द शुक्ला

शुक्रवार, 18 जनवरी 2013 (12:49 IST)
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हम तो महिलाओं से भी अधिक श्रृंगार करते हैं। महिलाएं तो सोलह श्रृंगार ही करती हैं। हम 17 श्रृंगार करते हैं। ये कहना है जूना अखाड़े से जुड़े नागा संत श्रवण का।

वैसे माना जाता है कि महिलाएं अपने साज-श्रृंगार पर सबसे ज्यादा ध्यान देती हैं, लेकिन जूना अखाड़े के नागा संत ने बताया कि वो तो महिलाओं से ज्यादा साज-श्रृंगार करते हैं क्योंकि वो 17 श्रृंगार करते हैं।

पहले शाही स्नान के दौरान अलग-अलग अखाड़ों के नागा साधुओं के अलग अलग रूप देखने को मिलेगा अखाड़ों में नागा साधु भी अलग अलग तरह के होते हैं। कुछ नरम दिल तो कुछ अक्खड़ स्वभाव के होते हैं। कुछ नागा संतों के तो रूप रंग इतने डरावने हैं कि उनके पास जाने से ही डर लगता है।

बातचीत के दौरान नागा संत श्रवण ने कहा कि शाही स्नान से पहले नागा साधु पूरी तरह सज धज कर तैयार होते हैं और ड्डिर अपने ईष्ट की प्रार्थना करते हैं।
नागाओं के 17 श्रृंगार के बारे में उन्होंने बताया कि लंगोट, भभूत, चंदन, पैरों में लोहे या ड्डिर चांदी का कड़ा, अंगूठी, पंचकेश, कमर में ड्डूलों की माला, माथे पर रोली का लेप, कुंडल, हाथों में चिमटा, डमरू या कमंडल गुथी हुई जटाएं और तिलक, काजल, हाथों में कड़ा, बदन में विभूति का लेप और बाहों पर रुद्राक्ष की मालाएं 17 श्रृंगार में शामिल होते हैं।

नागा संत के मुताबिक लोग नित्य क्रिया करने के बाद खुद को शुद्ध करने के लिए गंगा स्नान करते हैं लेकिन नागा संन्यासी शुद्धीकरण के बाद ही शाही स्नान के लिए निकलते हैं।

महाकुंभ पहुंचे नागा संन्यासियों की एक खासियत ये भी है कि इनका मन बच्चों के समान निर्मल होता है। ये अपने अखाड़ों में हमेशा धमा.चौकड़ी मचाते रहते हैं। इनका मठ इनकी अठखेलियों से गूंजता रहता है। अखाड़ों की बात करें तो महानिर्वाणी, जूना और निरंजनी अखाड़ों में सबसे अधिक नागा साधुओं की तादाद है।- वेबदुनिया

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