बाबा नीम करोली के ये विचार आज भी प्रासंगिक हैं। वे हमें सिखाते हैं कि सच्ची समृद्धि केवल धन-दौलत में नहीं, बल्कि संतोष, करुणा और ईमानदारी में निहित है। जो व्यक्ति इन मूल्यों को अपने जीवन में अपनाता है, वही वास्तव में धनी होता है, चाहे उसके पास भौतिक संपत्ति कितनी भी कम क्यों न हो। इसलिए, धन कमाने के साथ-साथ हमें अपने आंतरिक धन को भी बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए, तभी हम सच्चे अर्थों में समृद्ध और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।
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