राम भक्त केवट के बारे में 5 रोचक बातें

WD Feature Desk

बुधवार, 14 मई 2025 (12:51 IST)
Kevat in Hindu mythology: राम भक्त केवट रामायण के एक महत्वपूर्ण और प्रिय पात्र हैं। उनके जीवन की कहानी भगवान राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति, निस्वार्थ सेवा और सामाजिक बंधनों से परे प्रेम का एक सुंदर उदाहरण है, जो आज भी भक्तों को प्रेरित करती है। राम भक्त केवट यानी इस महान नाविक ने भगवान राम, लक्ष्मण और सीता को वनवास के दौरान गंगा नदी पार कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।ALSO READ: Weekly Horoscope May 2025: साप्ताहिक राशिफल 12 से 18 मई, जानें किन राशियों को मिलेगा सितारों का साथ
 
यहां पढ़ें राम भक्त केवट के बारे में 5 प्रेरणादायक बातें, जो उन्हें एक अनोखा और समर्पित भक्त बनाती हैं...
 
1. निषाद जाति से संबंध: केवट निषाद जाति से थे, जो उस समय नदी किनारे रहने वाली और नाव चलाने का कार्य करने वाली एक सामाजिक श्रेणी थी। उस युग में सामाजिक वर्गीकरण काफी कठोर था, लेकिन केवट की भक्ति और राम के प्रति उनके निस्वार्थ प्रेम ने सभी बंधनों को तोड़ दिया।
 
2. राम के प्रति निस्वार्थ प्रेम: जब भगवान राम, सीता और लक्ष्मण उनके पास गंगा पार करवाने आए, तो केवट ने उन्हें केवल नाविक नहीं, बल्कि एक सच्चे सेवक की तरह सेवा दी। केवट का भगवान राम के प्रति प्रेम अत्यंत निस्वार्थ था। उन्होंने किसी भी प्रकार के लाभ या अपेक्षा के बिना उनकी सेवा की। उनका एकमात्र उद्देश्य भगवान राम की सहायता करना और उनके प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करना था।ALSO READ: नीम करोली बाबा ने हनुमान चालीसा को लेकर कही थी बड़ी बात, क्यों पढ़ना चाहिए नियमित?
 
3. गंगा पार कराने का अनूठा आग्रह: जब भगवान राम, सीता और लक्ष्मण गंगा नदी पार करने के लिए किनारे पर पहुंचे, तो केवट ने उन्हें बिना किसी शुल्क के नाव में चढ़ाने से मना कर दिया। उन्होंने एक अनोखा आग्रह किया कि पहले वे भगवान राम के चरण धोएंगे, क्योंकि उन्होंने सुना था कि उनकी चरण रज से पत्थर भी नारी बन जाती है और वे नहीं चाहते थे कि उनकी नाव स्त्री बनकर चली जाए, जिससे उनकी रोजी-रोटी का साधन छिन जाए। यह घटना केवट की बुद्धिमत्ता और भगवान राम के प्रति उनके गहरे सम्मान को दर्शाती है।
 
4. राम द्वारा भाई के समान सम्मान: केवट की भक्ति और निश्छल प्रेम से प्रसन्न होकर भगवान राम ने उन्हें एक भाई के समान सम्मान दिया। जब वे नदी पार कर रहे थे, तो राम ने केवट को 'सखा' यानी मित्र कहकर संबोधित किया, जो उस समय के सामाजिक संदर्भ में एक बहुत बड़ी बात थी।
 
5. मोक्ष की प्राप्ति: रामायण में वर्णित है कि भगवान राम ने केवट को उनके निस्वार्थ प्रेम और सेवा के बदले में मोक्ष प्रदान किया। यह घटना दर्शाती है कि भगवान भक्ति और प्रेम के भाव से प्रसन्न होते हैं, न कि जाति या सामाजिक स्थिति से। केवट की कथा यह संदेश देती है कि सच्ची भक्ति हर प्रकार के भेदभाव से ऊपर होती है और भगवान सभी के लिए समान रूप से सुलभ हैं।
 
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