यह भी कहते हैं कि उनके निधन की वजह तीसरी बार दिल का दौरा पड़ना था। उनकी अंत्येष्टि बेलूर में गंगा के तट पर चंदन की चिता पर की गई थी। इसी गंगा तट के दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का 16 वर्ष पूर्व अंतिम संस्कार हुआ था। हालांकि विवेकानंद ने अपनी मृत्यु के बारे में पहले की भविष्यवाणी कर रखी थी कि वे 40 वर्षों तक जीवित नहीं रहेंगे। इस प्रकार उन्होंने महासमाधि लेकर अपनी भविष्यवाणी को पूरा किया। स्वामी विवेकानंद की मृत्यु मात्र 39 वर्ष की उम्र में हुई थी।