सच्ची श्रद्धा से मिलते हैं ईश्वर

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दूध में मक्खन रहता है पर दिखाई नहीं देता। मक्खन पाने के लिए दूध को पहले जमाना पड़ता है, उसके बाद उसका मंथन करना पड़ता है, तब मक्खन प्राप्त होता है। इसी प्रकार ईश्वर को प्राप्त करने के लिए पूजन और भजन जरूरी है।

ये बातें स्वामी शारदानंद सरस्वती ने अपने प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि ईश्वर सर्वत्र है पर दिखाई नहीं देते। उन्हें प्राप्त करने के लिए भजन, पूजन और सत्संग करना आवश्यक है। इन्हीं के माध्यम से उनका साक्षात्कार संभव है। उन्होंने कहा कि हम दुनिया में आकर यहाँ की चकाचौंध से अपना लक्ष्य भटक गए हैं। चाह, इच्छा और लोभ ने हमें सत्संग, पूजन आदि से दूर कर दिया है। इसलिए हम अपने मन के अंदर के ईश्वर को देख नहीं पाते।

दुनिया में आकर हम केवल अपनी इच्छाओं के फेर में उलझ गए हैं। कान से सुनना और आँखों से दिखाई देना बंद हो गया है। इसके बाद भी मोह, माया और इच्छाओं में कमी नहीं आई है। उन्होंने कहा कि ईश्वर देख रहा है कि कौन-सा प्राणी कितना दुख उठा रहा है पर हम अपने अभिमान में खोए हुए हैं।

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जैसे गंदगी को धोने साबुन लगाते हैं और साबुन को धोने पानी की जरूरत होती है, उसी प्रकार ईश्वर से साक्षात्कार के लिए भजन, पूजन और सत्संग रूपी साबुन लगाकर मोह माया से परे होकर उन्हें प्राप्त किया जा सकता है।

माथे पर लगने वाला चंदन शीतलता प्रदान करता है। चंद्रमा उससे भी अधिक शीतल होता है। यही अवसर है कि हम अपने जीवन रूपी नैया में भक्ति भाव में डूब जाएँ। तभी हम भगवान को प्राप्त करने की इच्छा को पूर्ण कर पाएँगे।

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