2. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी प्रकार की शिक्षा, विद्या या कला सीखने में शर्म या संकोच नहीं करना चाहिए। इसे आगे रहकर सीखना चाहिए। जब भी कोई सीखने का अवसर प्राप्त हो तो उसे छोड़े नहीं। स्कूल हो, अन्य संस्थान हो या ऑफिस में कोई कार्य। आपको आगे रहकर कोई सिखाने वाला नहीं है। आपको ही बेशर्म बनकर सीखना चाहिए। यदि आप विद्या, कला, गुण या अन्य चीजों को सीखने में संकोच करते हैं तो यह आपके लिए भविष्य में नुकसानदायक रहेगा।
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