Chanakya Niti: चाणक्य नीति को आचार्य चाणक्य ने लिखा है। उन्होंने राजनीति, धर्म, समाज, युद्ध, विदेश नीति, व्यक्तित्व, व्यवहारिकता सहित मानव जीवन की हर बातों पर अपने ग्रंथ में सूत्रों में विचार व्यक्त किए हैं। इसी क्रम में चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र के सातवें अध्याय के बारहवें श्लोक में बताया है कि के लोगों को यह दुनिया परेशान करती है या सताती रहती है। ऐसे लोगों को जीवन में संघर्ष ही करते रहना पड़ता है।
श्लोकार्थ : मनुष्य को अधिक सीधा नहीं होना चाहिए। जिस तरह जंगल में जाकर देखने से पता लगता है कि सीधे वृक्ष काट लिया जाते हैं, जबकि टेढ़ा-मेढ़ा पेड़ नहीं काटा जाता है और टेढ़े मेढ़े या गांठों वाले वृक्ष खड़े रहते हैं।
भावार्थ : चाणक्य के अनुसार मनुष्य को अधिक सीधा नहीं होना चाहिए क्योंकि सीधे लोगों को दुनिया परेशान करती रहती है। यह उसी तरह है जिस तरह की जंगल खड़े सीधे पेड़ों को सबसे पहले काटा जाता है। इसलिए सीधे या सरल स्वभाव के लोग हमेशा परेशान ही रहते हैं क्योंकि वे हर किसी पर विश्वास करते हैं और दुनिया उन्हें मूर्ख बनाकर उनका नुकसान करती रहती है। सीधे लोगों को लोग दुर्बल और मूर्ख मानते हैं और उन्हें लगता है कि इन्हें आसानी से लुटा जा सकता है।
स्वार्थ से भरी इस दुनिया में व्यक्ति भ्रष्ट, चलाक, छल-कपट में उतर आया है। ऐसे में सीधे लोगों के लिए यहां कोई जगह नहीं है। इसलिए यदि आपको लगता है कि आप सीधे हैं तो प्रयास यह करें कि लोगों की बातों पर एकदम से भरोसा न करें। उनके हाथों मूर्ख बनने से बचकर रहें। इसके लिए खुद का विश्लेषण करके दूसरों की समझने की बुद्धि विकसित करें।