Indore : वीर शहीदों के प्रति नगर निगम की लापरवाही शर्मसार करने वाली, कब जागेंगे शहर के जिम्मेदार

रविवार, 26 जनवरी 2025 (13:23 IST)
जहां एक ओर देश आज गणतंत्र दिवस के पर्व पर वीर शहीदों को याद कर उन्हें नमन है, वहीं देश के सबसे स्वच्छ शहर माने जाने वाले इंदौर शहर में शहीदों के नाम से बनाए गए मार्ग संकेतकों की दुदर्शा शर्मसार करने वाली है। इंदौर नगर पालिका निगम की घोर उदासीनता के चलते 1965 युद्ध के रणबांकुरे शहीद लेफ्टिनेंट जयेंद्र सिंह के नाम का मार्ग संकेत डेली कॉलेज मेन गेट के पास उखड़ा हुआ जमीन पर पड़ा है।

कहां है इंदौर शहर के जिम्मेदार मंत्री, अधिकारी और समाजसेवक। कहां उनका ध्यान इस ओर नहीं है। इस संकेतक पर गिरे पत्ते और मिट्टी यह गवाही दे रहे हैं कि कितने दिनों इसकी ओर देखा भी नहीं गया है। 
 
कब जागेंगे शहर के जिम्मेदार : ये शहरवासियों के लिए खेद का विषय है कि शहीदों की याद में लगेंगे हर बरस मेले, यहीं बाकी नामोनिशान होगा को भुला दिया गया है। सिर्फ हाथ में तिरंगा लेने से हम देशभक्त नहीं हो सकते, हमें जिम्मेदारों का ध्यान भी इस ओर दिलाना होगा। देश के लिए प्राणों की आहूति देने वाले वीर जवानों के स्मृति चिन्हों को सही सम्मान मिले, यह प्रशासन, नगर निगम और नागरिक की भी जिम्मेदार है। द्वितीय लेफ्टिनेंट जयेन्द्र जय सिंह राणे को भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके असाधारण साहस, अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान के लिए वीरता पुरस्कार "वीर चक्र" दिया गया।
कौन थे जयेन्द्र सिंह राणे : लेफ्टिनेंट जयेंद्र जय सिंह राणे मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के निवासी थे और उनका जन्म 27 अप्रैल 1949 को हुआ था। सेना के अनुभवी मेजर जेएस राव राणे के बेटे, वे हमेशा अपने पिता के पदचिन्हों पर चलना चाहते थे और सशस्त्र बलों में सेवा करना चाहते थे। आखिरकार वे 21 साल की उम्र में वर्ष 1970 में सेना में शामिल हो गए। उन्हें गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट की 5 गढ़वाल बटालियन में कमीशन दिया गया था। 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान सेकेंड लेफ्टिनेंट जयेंद्र जय सिंह राणे की यूनिट 5 गढ़वाल को पूर्वी सेक्टर में तैनात किया गया था।

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