इंदौर। संस्कृत भारती संस्कृत भाषा को जन भाषा बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। इस उद्देश्य से कार्य करने वाले सभी कार्यकर्ता प्रशंसा के पात्र हैं। वे एक महान कार्य कर रहे हैं, क्योंकि संस्कृत में भारत की आत्मा बसती है। कहने का तात्पर्य है कि हम अपने देश की आत्मा को शक्ति प्रदान करने के लिए कार्य कर रहे हैं। यह बात संस्कृत भारती के मध्यक्षेत्र के संगठन मंत्री प्रमोद पंडित ने कही। वे संस्कृत भारती मालवाप्रांत के कार्यकर्ता सम्मेलन के शुभारंभ अवसर पर मंगलवार को बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि संस्कृत वह भाषा है जो अपनी पुस्तकों वेद, उपनिषदों, श्रुति, स्मृति, पुराणों, महाभारत, रामायण आदि में सबसे उन्नत प्रौद्योगिकी रखती है। एक रिपोर्ट के अनुसार है कि रूसी, जर्मन,जापानी, अमेरिकी सक्रिय रूप से आध्यात्मिक ग्रन्थों से नई चीजों पर शोध कर रहे हैं और उन्हें वापस दुनिया के सामने अपने नाम से रख रहे हैं। लगभग 40 देशों में संस्कृत भाषा से संबंधित शोध चल रहे हैं, भारत में इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है।
कई कार्यक्रम भी होंगे : सम्मेलन के महाप्रबंधक नीरज मंगल व व्यवस्था प्रमुख सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि सम्पूर्ण सम्मेलन में संस्कृतमय वातावरण रहेगा जो आम जनता व संस्कृत अनुरागियों के लिए आकर्षण का केन्द्र होगा, क्योंकि दो दिवसीय इस आवासीय संस्कृत सम्मेलन में सुबह से रात तक संस्कृतमय वातावरण रहेगा। सम्मेलन में संस्कृत जगत् सम्बन्धी विभिन्न चर्चा सत्र,विचार-विमर्श व संगोष्ठी सत्र होंगे।
आयोजन में संस्कृत से संबंधित विभिन्न प्रदर्शनी भी लगाई जाएंगी। इसमें संस्कृत भारती का कार्य परिचय, संस्कृत में निहित विज्ञान की प्रदर्शिनी, व्यवहार में आने वाली वस्तुओं की संस्कृतमय प्रदर्शनी, संस्कृत पुस्तकों की प्रदर्शिनी प्रमुखतया रहेगी।