उन्होंने कहा कि मैंने जो लिखा, सच लिखा और इसीलिए मेरा विरोध भी हुआ। क्योंकि सच को लिखना और उसे पचाना इतना आसान नहीं है। तसलीमा ने कहा कि चाहे वह महिला की बात हो या धर्म या फिर समाज की, ये तीनों मिलकर राष्ट्र बनाते हैं। इन तीनों पर ही लिखने के कारण ही मुझे संघर्ष करना पड़ा और मेरा इतना विरोध हुआ।