‘इंदौर आकाशवाणी’ की खो जाएगी आवाज, कर्मचारियों ने भजिए तल किया विरोध
गुरुवार, 28 जुलाई 2022 (17:28 IST)
मालवा-निमाड़ की संस्कृति का प्रचार- प्रसार थम जाने के साथ ही स्थानीय कलाकारों को होगा नुकसान, कर्मचारी हो जाएंगे बेरोजगार
इंदौर आकाशवाणी के कार्यक्रम भोपाल से रिले करने के सरकार के फैसले का कर्मचारियों ने किया विरोध
इंदौर, सूचना और संगीत को भारत के गांव- देहात से लेकर कस्बों तक पहुंचाने में आकाशवाणी का बहुत बड़ा योगदान है। इसके साथ ही आकाशवाणी एक ऐसी संस्था है, जिसका निर्माण सूचना, जानकारी, मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञान को देश के घर-घर तक पहुंचाया है। किसी समय में एक पूरा वर्ग आकाशवाणी से प्रसारित कार्यक्रमों के लिए के बेसब्री से इंतजार करता था। चाहे शास्त्रीय संगीत की बात हो या, सुगम संगीत और लोकगायन, काव्य गोष्ठी की बात हो, आकाशवाणी ही वो मंच रहा है, जहां से यह सबकुछ प्रसारित हुआ और लोकप्रिय भी।
लेकिन अब उसी आकाशवाणी इंदौर के कार्यक्रम को बंद कर इसके अस्तित्व को खतरे में डाला जा रहा है। ऐसे में न सिर्फ मालवा-निमाड की संस्कृति को आघात पहुंचेगा, बल्कि इसके साथ ही यहां के स्थानीय कलाकार, उद्घोषक और कम्पीयर की पहचान भी खत्म हो जाएगी। वहीं दूसरी आकाशवाणी के श्रोताओं के सम्मान को भी ठेस पहुंचेगी।
इंदौर में भजिया तलकर किया विरोध
आकाशवाणी के इंदौर के कार्यक्रमों को भोपाल से रिले किए जाने के विरोध में गुरुवार को प्रदर्शन किया गया। जिसमें भजिया तलकर प्रदर्शन में संदेश दिया गया कि क्या अब आकाशवाणी के कर्मचारी भजिया तलेंगे। विरोध में कई कर्मचारी शामिल हुए।
दरअसल, अब इंदौर आकाशवाणी के ज्यादातर कार्यक्रम इंदौर से बंद कर भोपाल से रिले किए जाएंगे, इससे आकाशवाणी इंदौर के कर्मचारियों सहित कैजुअल आर्टिस्ट तथा अन्य कलाकारों में जबरदस्त रोष है। उनका कहना है कि एक तरफ तो इंदौर स्मार्ट सिटी बन रहा है, दूसरी तरफ इंदौर तथा आसपास के क्षेत्र की लोक संस्कृति को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों के निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगाई जा रही है।
निखिल खानविलकर ने वेबदुनिया को बताया कि विरोध स्वरूप कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं। हम भजिया तलकर सरकार से अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। निखिल ने बताया कि एक तरफ तो एफएम रेडियो लगातार लोकप्रिय हो रहे हैं और दूसरी तरफ सरकार इंदौर जैसे महत्वपूर्ण शहर में अपने केंद्र को महज रिले सेंटर बना कर छोड़ देना चाहती है।
ये कार्यक्रम नहीं हो सकेंगे अब
बता दें कि मालवी और निमाड़ी के वे सारे कार्यक्रम आवाज खो देंगे, जो मालवा और निमाड़ के सैकड़ों लोक कलाकारों की पहचान हुआ करते थे। स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल महिला सभा, ग्राम लक्ष्मी, खेती गृहस्थी, बाल सभा, कोपल, नाटक, सुगम संगीत, शास्त्रीय संगीत, युववाणी और लोकगीतों के कार्यक्रम नहीं हो पाएंगे। इनकी जगह इंदौर आकाशवाणी के दोपहर के स्थानीय कार्यक्रम इंदौर से प्रसारित न होकर भोपाल से प्रसारित होंगे।
पहचान होगी खत्म, कलाकारों के पास नहीं होगा रोजगार
इंदौर से प्रसारण बंद कर भोपाल से कार्यक्रम रिले करने से स्थानीय भाषा, बोली, संस्कृति, परंपराओं, त्योहारों के संरक्षण का कार्य करने वाले इस आकाशवाणी केंद्र की भूमिका सीमित हो जाएगी। जबकि कई उद्घोषकों, लोक कलाकारों का रोजगार भी छिन जाएगा। आकाशवाणी से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, यह संकट इंदौर आकाशवाणी के साथ ही मध्यप्रदेश के रीवा, छतरपुर, ग्वालियर और जबलपुर केंद्रों पर भी आया है। इन सारे केंद्रों के स्थानीय कार्यक्रमों की पहचान भी गुम हो जाएगी। सभी केंद्रों के कार्यक्रमों को भोपाल आकाशवाणी केंद्र में समाहित किया जा रहा है। सभी केंद्रों को सप्ताह में एक-एक दिन मौका मिलेगा।
घाटे में चल रहा था आकाशवाणी
बता दें कि आकाशवाणी इंदौर का केंद्र पिछले कई वर्षों से लगातार घाटे में चल रहा था और यहां आमंत्रित किए जा रहे कलाकारों को पेमेंट भी लंबे समय से नहीं हो पा रहे थे। यही वजह है कि सरकार ने यह निर्णय लिया है कि इसके बाद अब इंदौर का आकाशवाणी केंद्र सिर्फ रिले सेंटर के रूप में ही काम करेगा। यानी इस केंद्र में किसी भी प्रकार के कार्यक्रमों का निर्माण अब बंद हो जाएगा। आकाशवाणी इंदौर के माध्यम से हजारों कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां देने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई थी। इंदौर से बनने वाले कार्यक्रमों ने विविध भारती भी खासी चर्चा में रहा है।