पंडित दीनदयाल उपाध्याय मात्र राजनेता नहीं थे, वे उच्च कोटि के चिंतक, विचारक और लेखक भी थे। उन्होंने शक्तिशाली और संतुलित रूप में विकसित राष्ट्र की कल्पना की थी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को हुआ था।
आइए पढ़ें उनके 10 अनमोल और प्रेरक विचार...
1. धर्म एक बहुत ही व्यापक और विस्तृत विचार है, जो समाज को बनाए रखने के सभी पहलुओं से संबंधित है।
2. बिना राष्ट्रीय पहचान के स्वतंत्रता की कल्पना व्यर्थ है।
3. हमें सही व्यक्ति को वोट देना चाहिए न की उसके बटुए को, पार्टी को वोट दे किसी व्यक्ति को भी नहीं, किसी पार्टी को वोट न दे बल्कि उसके सिद्धांतों को वोट देना चाहिए।
4. एक अच्छे को शिक्षित करना वास्तव में समाज के हित में है।
5. अनेकता में एकता और विभिन्न रूपों में एकता की अभिव्यक्ति भारतीय संस्कृति की सोच रही है।
6. अवसरवाद से राजनीति के प्रति लोगों का विश्वास खत्म होता जा रहा है।
7. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की लालसा हर मनुष्य में जन्मजात होती है और समग्र रूप में इनकी संतुष्टि भारतीय संस्कृति का सार है।
8. अंग्रेजी शब्द रिलीजन धर्म के लिए सही शब्द नहीं है।
9. मानवीय ज्ञान सभी की अपनी संपत्ति है।
10. शिक्षा एक निवेश है, जो आगे चलकर शिक्षित व्यक्ति समाज की सेवा करेगा।